मध्यप्रदेश में आमूलचूल बदलाव, बीमारू राज्य से बना निवेश का केंद्र

मध्यप्रदेश में आमूलचूल बदलाव, बीमारू राज्य से बना निवेश का केंद्र

भोपाल, 17 फरवरी (भाषा) कभी बीमारू राज्य माना जाने वाला मध्यप्रदेश आज निवेश के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन गया है। राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यह बात कही है।

उन्होंने कहा कि राज्य का प्रमुख ध्यान बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ ही निवेशक अनुकूल नीतियों और कारोबारी सुगतमा पर है, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां आकर्षित हो रही हैं।

राज्य निवेशकों को किफायती कीमत पर जमीन, निर्बाध बिजली की आपूर्ति, सड़कों, रेलवे और हवाई मार्गों के जरिये मजबूत संपर्क और कर प्रोत्साहन की पेशकश करता है। निवेशकों को अनुकूल औद्योगिक नीति के साथ महत्वपूर्ण लाभ दिए जाते हैं।

यादव ने 24-25 फरवरी को भोपाल में आयोजित होने वाले राज्य के वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन (जीआईएस)-2025 से पहले निवेश गंतव्य के रूप में मध्यप्रदेश की अपार संभावनाओं के बारे में बात की।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह शिखर सम्मेलन पिछले सम्मेलनों से अलग होगा, क्योंकि इस बार क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलनों और विभिन्न क्षेत्रों के निवेशकों के साथ चर्चा के जरिये जमीनी स्तर पर काम किया गया है।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश ने अच्छी सड़कों, ऊर्जा और जलापूर्ति के साथ ही किफायती एवं कुशल श्रम की मौजूदगी से एक मजबूत बुनियादी ढांचा विकसित किया है।

राज्य ने भाजपा शासन के तहत प्रगतिशील औद्योगिक नीतियों को लागू किया है, जिसमें निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कर प्रोत्साहन, जमीन और बिजली पर सब्सिडी दी गई है।

कपड़ा, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), खाद्य प्रसंस्करण और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विशेष रूप से नीतियां तैयार की गई हैं।

उन्होंने कहा कि यह शायद देश का एकमात्र राज्य है, जिसने ड्रोन और सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए अलग-अलग नीतियां बनाई हैं, जो विनिर्माताओं को आकर्षित करने के लिए कई प्रोत्साहन देती हैं।

हाल के वर्षों में, मध्यप्रदेश ने प्रक्रियाओं को सरल बनाने, एकल-खिड़की प्रणाली की पेशकश करने, नौकरशाही की बाधाओं को कम करने और मंजूरियों तथा परमिट के लिए ऑनलाइन पोर्टल लागू करने पर ध्यान दिया है।

यादव ने कहा, ‘‘निवेशक मध्यप्रदेश को बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं।’’

मध्यप्रदेश को कभी बीमारू राज्यों में शुमार किया जाता था। यह शब्द 1980 के दशक में भारत के उन राज्यों के लिए गढ़ा गया था जो गरीबी, खराब स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचे की कमी और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे थे।

मध्यप्रदेश ने पिछले दो दशक में बुनियादी ढांचे के विकास, औद्योगिक विकास और नीतिगत सुधार जैसे कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

राज्य ने इंदौर, ग्वालियर, भोपाल और पीथमपुर जैसे क्षेत्रों में विशेष औद्योगिक केंद्र और विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) विकसित किए।

इस सभी प्रयासों से राज्य को आज बीमारू राज्य की श्रेणी में नहीं रखा जाता।

उन्होंने कहा कि एक जीवंत निवेश गंतव्य के रूप में यह बदलाव राज्य की सक्रिय नीतियों, बुनियादी ढांचे के विकास और प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का नतीजा है।

राज्य ने आर्थिक रूप से पिछड़ा होने की छवि को बदल दिया है और इसे भारत के विकास इंजन के रूप में देखा जाता है, जो राष्ट्रीय और वैश्विक, दोनों कंपनियों से निवेश आकर्षित करता है।

यादव ने कहा, ‘‘निवेशक मध्यप्रदेश की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं। हमारे पास मजबूत बुनियादी ढांचा, बेहतरीन सड़कें और किसी भी उद्योग के लिए आदर्श कारोबारी माहौल है। यहां कोई श्रमिक समस्या नहीं है, कानून और व्यवस्था की स्थिति स्थिर है और बिजली और पानी जैसी आवश्यक सेवाएं हमेशा उपलब्ध हैं। हमारे पास कुशल श्रमिक भी हैं और यहां के लोग मेहनती हैं। इसके अलावा, हमारे पास प्रचुर मात्रा में कच्चा माल है। निवेशक मध्य प्रदेश में महत्वपूर्ण अवसर देख रहे हैं।’’

उन्होंने कोयंबटूर में एक रोड शो का उदाहरण दिया, जहां निवेशकों ने राज्य से प्राप्त कपास से बने कपड़ों के निर्यात का उल्लेख किया।

यादव ने कहा कि अब वे कारोबारी मध्यप्रदेश में कपड़े और परिधान बनाने पर भी विचार कर रहे हैं।

द्विवार्षिक निवेशक शिखर सम्मेलन की तैयारी में यादव ने देश के महत्वपूर्ण शहरों में निवेशक रोड शो किए हैं। उन्होंने निवेशकों का समर्थन जुटाने के लिए ब्रिटेन, जर्मनी और जापान की यात्रा भी की।