भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की घोषणा से कारोबारी भरोसा बढ़ा: गोयल
नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत की घोषणा से दोनों देशों में कारोबारी विश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इससे उनकी प्रतिस्पर्धी करने की ताकत का लाभ उठाकर आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने तथा 2025 तक पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण पर बातचीत करने की घोषणा की।
गोयल ने कहा, “प्रधानमंत्री अपने साथ इस वर्ष के अंत तक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए एक समझौता या सहमति लेकर आए हैं। मुझे लगता है, यह अमेरिका और भारत में हर व्यवसायी को बहुत आत्मविश्वास और राहत देता है, जो मानते हैं कि साथ मिलकर, हम वास्तव में वैश्विक व्यापार को बदल सकते हैं, विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिस्पर्धी शक्तियों के साथ, हम वास्तव में दो दोस्तों के रूप में, प्रगति और समृद्धि के लिए दो भागीदारों के रूप में काम कर सकते हैं।”
आमतौर पर मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में, दो व्यापारिक साझेदार अपने बीच व्यापार वाले उत्पादों की अधिकतम संख्या पर सीमा शुल्क को या तो समाप्त कर देते हैं या काफी कम कर देते हैं। इसके अलावा, वे सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को भी सुगम बनाते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान, दोनों देशों ने एक छोटे व्यापार समझौते पर चर्चा की थी, लेकिन जो बाइडन प्रशासन ने इसे टाल दिया था क्योंकि वह इस तरह के समझौतों के पक्ष में नहीं थे।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि भारत, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ईएफटीए ब्लॉक सहित विकसित देशों के साथ नए व्यापार समझौतों के माध्यम से दुनियाभर में नई साझेदारियों का विस्तार और निर्माण कर रहा है।
यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के सदस्य आइसलैंड, लीश्टेंस्टाइन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड हैं।
गोयल ने यहां ‘ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट’ में कहा, “यूरोप के साथ अन्य संबंधों में हम जो प्रगति कर रहे हैं, और इस साल के अंत तक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए हम जल्द ही अमेरिका के साथ जो प्रगति करेंगे, वह सभी वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती प्रासंगिकता को दर्शाते हैं।”