ट्रंप के शुल्क और भारत पर उसका असर

ट्रंप के शुल्क और भारत पर उसका असर

नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा है कि अमेरिका जवाबी शुल्क लगाने से भारत को छूट नहीं देगा।

ट्रंप ने आयात पर जवाबी शुल्क लगाने की अपनी योजना को आगे बढ़ाया है, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध के और गहराने का अनुमान है।

वित्त वर्ष 2021-24 के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। अप्रैल-नवंबर 2024-25 के दौरान, दोनों देशों के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 82.52 अरब अमेरिकी डॉलर (52.89 अरब डॉलर निर्यात और 29.63 अरब डॉलर आयात) रहा था। इस दौरान व्यापार घाटा 23.26 अरब डॉलर रहा, जो भारत के पक्ष में है।

भारत के कुल माल निर्यात में अमेरिका का योगदान करीब 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत है।

ट्रंप ने सभी इस्पात और एल्युमीनियम आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है। यह 12 मार्च से लागू होगा।

मूडीज रेटिंग्स ने कहा कि अमेरिका के 25 प्रतिशत शुल्क लगाने के फैसले के बाद भारतीय इस्पात उत्पादकों को अपने उत्पादों के निर्यात में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

सवाल- शुल्क क्या हैं?

जवाब - अंतरराष्ट्रीय व्यापार की भाषा में माल के आयात शुल्क, सीमा शुल्क या कर लगाए जाते हैं। आयातकों को यह शुल्क सरकार को देना होता है। आम तौर पर कंपनियां इन करों को अंतिम उपयोगकर्ताओं पर डालती हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी 100 रुपये मूल्य के किसी उत्पाद 'क' का आयात कर रही है, जिस पर 10 प्रतिशत सीमा शुल्क है, तो उत्पाद की लागत 110 रुपये हो जाएगी।

यह एक अप्रत्यक्ष कर हैं, जो किसी देश के लिए राजस्व का एक स्रोत हैं। एंटी-डंपिंग शुल्क, प्रतिकारी शुल्क या सुरक्षा शुल्क भी शुल्क के प्रकार हैं।

सवाल- जबावी और प्रतिशोधी शुल्क क्या हैं?

जवाब- आम तौर पर, दोनों का उपयोग एक ही अर्थ में किया जा सकता है। इन्हें व्यापार भागीदारों के शुल्कों में वृद्धि या अधिक शुल्क का जवाब देने के लिए देश लगाते हैं। उदाहरण के लिए, जब 2018 में अमेरिका ने कुछ इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाया, तो भारत ने 29 अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई की।

सवाल- देश शुल्क क्यों लगाते हैं?

जवाब- ये शुल्क आयातित वस्तुओं को महंगा बनाने और बदले में घरेलू विनिर्माण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए लगाए जाते हैं। यह घरेलू कंपनियों को सस्ते आयात से भी बचाता है।

सवाल- शुल्क के नकारात्मक प्रभाव क्या हैं?

जवाब- अधिक आयात शुल्क से महंगाई बढ़ती है और घरेलू उद्योग के लिए कच्चा माल महंगा हो जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी वाहन कंपनी को कुछ ऐसे कलपुर्जो की जरूरत है, जो देश में नहीं बनते हैं, तो उसे शुल्क के कारण अपने आयात के लिए अधिक कीमत चुकानी होगी। इससे घरेलू उपयोगकर्ताओं के लिए उत्पाद महंगा हो जाएगा।

सवाल- ट्रंप जवाबी शुल्क लगाने की बात क्यों कर रहे हैं?

जवाब- अमेरिका को कई देशों, खासकर चीन के साथ भारी व्यापार असंतुलन का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका का भारत के साथ वस्तुओं के मामले में व्यापार घाटा 2023-24 में 35.31 अरब डॉलर था। इस अंतर को कम करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ये शुल्क लगा रहे हैं।

सवाल- क्या ट्रंप के इस आरोप में कोई दम है कि भारत बहुत अधिक शुल्क लगाता है या शुक्ल का फायदा उठाता है?

जवाब- ऐसा कहना ठीक नहीं है, क्योंकि अमेरिका खुद अपने घरेलू बाजारों की सुरक्षा के लिए डेयरी, फलों और सब्जियों सहित कई वस्तुओं पर अधिक शुल्क लगाता है। हालांकि, भारत की औसत शुल्क दर 17 प्रतिशत है, जो अमेरिका की औसत दर 3.3 प्रतिशत से अधिक है।

सवाल- क्या अमेरिका के जवाबी शुल्क डब्ल्यूटीओ के अनुरूप हैं?

जवाब- विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मानदंडों के अनुसार सदस्य देशों को अपने शुल्क कार्यक्रम पेश करने की जरूरत है, जिसमें सभी उत्पादों के लिए बाध्य शुल्क दरें शामिल हैं। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के शुल्क डब्ल्यूटीओ मानदंडों के अनुरूप है, जबकि अमेरिका के शुल्क इनका उल्लंघन है।