सूरत : लायंस क्लब ऑफ सूरत ईस्ट एवं रोटरी क्लब ऑफ सूरत ईस्ट द्वारा अंगदान, देहदान व नेत्रदान जागरूकता अभियान
सूरत मानवता में अग्रणी
सूरत की भूमि न केवल गुजरात में बल्कि पूरे भारत में मानवता के कार्यों और जागरूकता में अग्रणी रही है। सौराष्ट्र के भाडेर गांव के मूल निवासी और वर्तमान में सूरत के मोटा वराछा स्थित अवध पल्स बेरी बंगला में रहने वाले शंभुभाई और भरतभाई सांगाणी ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है। वे संयुक्त परिवार में रहकर न केवल अपने समाज को बल्कि पूरे समुदाय को प्रेरणा दे रहे हैं। उन्होंने अपने पिताजी के मामा की सेवा कर एक अद्भुत मिसाल कायम की। आज के समय में जब कुछ बेटे अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम भेजने का विचार करते हैं, उस दौर में सांगाणी परिवार ने अपने पिताजी के मामा का पूरा ध्यान रखा और समय-समय पर उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखा।
वर्तमान में उनके मामा बचुभाई वशरामभाई वघासिया की उम्र 85 वर्ष है। उनकी इच्छा के अनुसार, उन्होंने सूरत इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी चोर्यासी तालुका ब्रांच और लोकदृष्टि आई बैंक को नेत्रदान, देहदान और अंगदान का संकल्प दिया और समाज को प्रेरणा देने के लिए एक अनूठे कार्यक्रम का आयोजन किया। धारी गांव के हितेशभाई पटोलिया और उनकी युवा टीम ने इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें शाम के भोजन के साथ समाज के कई सदस्य, मित्र और रिश्तेदार उपस्थित हुए। इस अवसर पर कई लोगों ने नेत्रदान का संकल्प लिया।
इस कार्यक्रम में डॉ. प्रफुलभाई शिरोया (होमगार्ड कमांडेंट सूरत, चेयरमैन रेड क्रॉस ब्लड सेंटर इंडियन सोसाइटी चोर्यासी ब्रांच, सक्षम गुजरात प्रदेश संयोजक) ने भरतभाई और शंभुभाई के इस आयोजन की सराहना करते हुए नेत्रदान, देहदान और अंगदान के महत्व पर प्रकाश डाला और जागरूकता बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन दिया। पूर्व मेयर अस्मिताबेन शिरोया ने नेत्रदाता, देहदाता और अंगदाता को सम्मानित किया। इसके अलावा, डॉ. माणिया साहेब (पी.पी. माणिया अस्पताल) ने कार्यक्रम की सराहना की और दिनेभाई जोगानी (लोकदृष्टि चक्षु बैंक उपाध्यक्ष, वाइस चेयरमैन रेड क्रॉस ब्लड सेंटर, सक्षम सूरत उपाध्यक्ष) ने सेवाभावी संस्थाओं के कार्यों की जानकारी दी।
इस कार्यक्रम में शंभुभाई ने अपने प्रेरणादायक विचारों के साथ संयुक्त परिवार की सफलता का रहस्य बताया। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार में सभी को एक-दूसरे की सहनशीलता का सम्मान करना चाहिए और बड़ों को छोटों को सही दिशा दिखानी चाहिए। यदि परिवार में पिता हों, तो उन्हें अपने पुत्र को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जब पिता का देहांत हो जाता है, तो पुत्र की छत्रछाया समाप्त हो जाती है, इसलिए परिवार के सभी सदस्यों को एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए।
इसके अलावा, समाज में परिवार की तरह रहने वाले ढसा गांव के मूल निवासी राजपरा परिवार के जयंतिभाई और अशोकभाई की माता नानुबेन झवेरभाई राजपरा और मोटासढ़ियाला (ता. गीर गढड़ा, जिला गीर-सोमनाथ) के दिनेभाई और भावेशभाई सवालिया की माता लाडुबेन शांतिभाई सवालिया ने अपने परिवार की सहमति से संकल्प पत्र भरा। कार्यक्रम के अंत में संजयभाई माणिया ने उपस्थित महानुभावों का आभार व्यक्त किया और सांगाणी परिवार के इस प्रेरणादायक कार्य की सराहना की।