निर्वासित आप्रवासियों के परिवारों का दावा : हमें नहीं पता कि परिजन अमेरिका कैसे पहुंचे

निर्वासित आप्रवासियों के परिवारों का दावा : हमें नहीं पता कि परिजन अमेरिका कैसे पहुंचे

अहमदाबाद, पांच फरवरी (भाषा)अमेरिका से निर्वासित गुजरात के अवैध प्रवासियों के परिवार के सदस्यों ने दावा किया है कि उन्हें नहीं पता कि उनके परिजन अटलांटिक महासागर पार करके अमेरिका कैसे पहुंचे।

गुजरात के पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने निर्वासित गुजरातियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और रेखांकित किया कि वे नौकरी या कैरियर की तलाश में विदेश गए थे एवं उन्हें अपराधी के रूप में चित्रित नहीं किया जाना चाहिए।

अमेरिका का सैन्य विमान 104 अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर एक दोपहर में पंजाब के अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा। सूत्रों के मुताबिक इन 104 लोगों में 33 गुजरात के निवासी हैं।

सूत्रों ने बताया कि इनमें से ज्यादातर लोग मेहसाणा, गांधीनगर, पाटन, वडोदरा और खेड़ा जिलों से हैं। उम्मीद है कि वे बृहस्पतिवार को अपने पैतृक स्थानों पर पहुंच जाएंगे।

कनुभाई पटेल की बेटी भी निर्वासित लोगों में शामिल है। उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी एक महीने पहले अपने दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने यूरोप गई थी।

मेहसाणा जिले के चंद्रनगर-दभला गांव के निवासी पटेल ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि यूरोप पहुंचने के बाद उसने क्या योजना बनाई। आखिरी बार हमने उससे 14 जनवरी को बात की थी। हमें नहीं पता कि वह अमेरिका कैसे पहुंची।’’

अमेरिका से निर्वासित लोगों में एक महिला वडोदरा जिले के लूना गांव की है। उनके चाचा प्रवीण पटेल ने संवाददाताओं को बताया कि वह एक महीने पहले अमेरिका गयी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘वह गांव में ही रहती है। एक साल पहले उसकी शादी हुई थी और वह पिछले महीने अमेरिका गई थी। हमें केवल इतना पता है कि उसे निर्वासित कर दिया गया है। हमें उसके निर्वासन के पीछे का कारण नहीं पता है।’’

पुलिस उप महानिरीक्षक (सीआईडी-क्राइम) परीक्षिता राठौड़ ने कहा कि पुलिस इस स्तर पर निर्वासितों से पूछताछ नहीं करेगी।

पूर्व में गुजरात पुलिस ने अवैध तरीकों से लोगों को अमेरिका और कनाडा भेजने वाले आव्रजन एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की थी।

गांधीनगर के डिंगुचा गांव का एक परिवार 2022 में कनाडा से अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश करते समय ठंड से मर गया। जनवरी 2022 में अमेरिका-कनाडा सीमा पर, जगदीश पटेल, उनकी पत्नी और उनके दो बच्चों की बर्फानी तूफान के बीच अत्यधिक ठंड के संपर्क में आने के कारण मृत्यु हो गई थी।

बाद में पुलिस ने इस मामले में तीन एजेंट योगेश पटेल, भावेश पटेल और दशरथ चौधरी को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि आरोपियों ने इसी नेटवर्क के जरिए सात अन्य लोगों को कनाडा भेजा था।