सीबीआई ने देश भर में 350 करोड़ रुपये के क्रिप्टो पोंजी घोटाले का भंडाफोड़ किया

सीबीआई ने देश भर में 350 करोड़ रुपये के क्रिप्टो पोंजी घोटाले का भंडाफोड़ किया

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सात लोगों के खिलाफ 350 करोड़ रुपये के क्रिप्टो पोंजी घोटाले का मामला दर्ज करने के बाद इस सिलसिले में सात स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों के मुताबिक आरोपी व्यक्ति कथित तौर पर दिल्ली, हजारीबाग, बठिंडा, रतलाम, वलसाड, पुडुक्कोट्टई और चित्तौड़गढ़ शहरों में स्थित सात अलग-अलग मॉड्यूल चला रहे थे, जो क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का वादा करके निवेशकों से पैसे लेते थे।

सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘इन पोंजी योजनाओं को अनेक सोशल मीडिया समूहों के माध्यम से प्रचारित किया जा रहा था। बैंक खातों के लेन-देन और क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट्स के विश्लेषण से पता चला है कि इन योजनाओं से प्राप्त अवैध आय को क्रिप्टोकरेंसी में परिवर्तित किया जा रहा था ताकि उनकी उत्पत्ति को छिपाया जा सके।’’

अधिकारियों ने बताया कि आरोप है कि इन योजनाओं में 350 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन किया गया। सीबीआई ने बृहस्पतिवार को दिल्ली, झारखंड, पंजाब, मध्यप्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु और राजस्थान में कई स्थानों पर छापेमारी की।

तलाशी के दौरान, सीबीआई ने आरोपी व्यक्तियों के क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट में कुल 38,414 अमेरिकी डॉलर (लगभग) की डिजिटल आभासी संपत्ति जब्त की, जिसे जांच के लिए डिजिटल रूप से सुरक्षित कर लिया गया था।

सीबीआई प्रवक्ता ने कहा, ‘‘तलाशी के परिणामस्वरूप 34.20 लाख (लगभग) रुपये नकद राशि बरामद हुई। इसके अलावा महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्यों के साथ, जिसमें सात मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक टैबलेट, तीन हार्ड डिस्क, 10 पेन ड्राइव, मेमोरी कार्ड, सिम कार्ड, एटीएम/डेबिट कार्ड, ईमेल खाते और कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं।’’

एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के साथ धारा 420 (धोखाधड़ी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66डी के तहत मामला दर्ज किया है।

सीबीआई प्रवक्ता ने बयान में कहा, ‘‘यह आरोप लगाया गया कि आरोपी व्यक्ति आपराधिक षड़यंत्र के तहत सक्रिय रूप से विभिन्न पोंजी और धोखाधड़ी योजनाएं चला रहे हैं, जिनमें क्रिप्टोकरेंसी निवेश के आधार पर अधिक लाभ का वादा किया जा रहा था। उन पर इन अनियमित जमा योजनाओं में निवेशकों को लुभाने के लिए झूठी और भ्रामक जानकारी को बढ़ावा देने, वादा करने और प्रसारित करने का भी आरोप है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जैसे नियामक प्राधिकरणों से अपेक्षित अनुमोदन के बिना संचालित होते हैं। ’’