सूरत : स्त्रियों को नयन और संत पुरूषो को मन काबू में रखना चाहिए : पंडित प्रदीप मिश्रा
शिव की भक्ति नहीं जाती खाली : विधाता भाग्य लिखता है, भोलेबाबा भक्तों का भाग्य पलटता है
सूरत में डिंडोली खरवासा रोड पर वेदांता सिटी में पांचवें दिन सोमवार को शिवमहापुराण कथा में श्रद्धा का सैलाब उमड़ा। इस दौरान कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के मुखारविंद से की जा रही कथा के दौरान भक्ति के सागर में श्रद्धालु डूबे रहे। कथा का श्रवण करने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु शहर में पहुंच रहे है और जिनको जहां पर स्थान मिल रहा है, वहीं पर बैठकर पूरी आस्था के साथ कथा का श्रवण कर रहे है।
कथा के आयोजन कथा का श्रवण कराते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जो व्यक्ति शिव की भक्ति करता है उसके बनने में कुछ देर जरूर लगता है लेकिन बनता जरूर है, शिव की भक्ति कभी खाली नहीं जाती है। व्यक्ति का भगवान पर भरोसा, समर्पण और विश्वास जितना पक्का होगा, भोलेनाथ उस व्यक्ति के दुख पूरी तरह दूर कर देते हैं।
पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भगवान भोले नाथ दयावान है। वे सारे पापों से मुक्ति दिलाने वाले हैं। जो भगवान शिव की भक्ति करता है उसके सारे कष्टों को मेरे भोले बाबा हर लेते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस परिसर में चलने वाली शिव महाकथा की पांडाल में जो व्यक्ति आते है अपने जीवन में बदलाव स्वयं महसूस करते है। ऐसे कई भक्त है जो कथा में आए और जिन्होंने अंतर आत्मा से शिवजी की भक्ति को स्वीकार किया उनके बिगडऩे वाले कार्य पूरे हो गए। उनके जीवन से कष्टों का हरण भगवान शिव ने किया।
उन्होंने कहा कि सारे इंद्रियों में से दो इंद्रिय सबसे प्रबल होती है। एक अपने नयन और दूसरा मन। स्त्रियों को नयन और संत को मन काबू में रखना चाहिए। आज के व्यक्ति के बारे में बताया कि आज का व्यक्ति सूर्यमुखी फल जैसा है। जहां प्रकाश दिखा वहां मुड़ जाता है। वैसे ही मनुष्य भी अपना फायदा देकर रास्ता बदल लेता है। आज की आरती में सुनिल पाटिल, सम्राट पाटिल, विधायक प्रवीण घोघारी, पूर्व विधायक आरसी पटेल, पार्षद अल्का पाटिल, शरद पाटिल, विजय चौमाल, सोमनाथ मराठे, मनीषा अहिर, सहित अग्रणियों की उपस्थित रही।
सुबह से जुटती भक्तों की भीड़
पुलिसकर्मी ने बताया कि कथा में रोजाना लाखों की संख्या में लोग आ रहे हैं, हररोज भक्तों की संख्या का रिकोर्ड टुट रहा है। भक्तों का आना सुबह साढ़े 8 बजे से शुरू हो जाता है, और शाम 4 बजे कार्यक्रम खत्म होने पर लौटना शुरू होता है। दुर दराज और बाहर गांव के कई भक्त कथा स्थल पर ही रात्रिवास करते है। उनके लिए शाम को देर रात तक भजन किर्तन और भोजन की व्यवस्था होती है। 21 जनवरी को छठ्ठे दिन की कथा दोपहर 1 से 4 बजे तक और 22 जनवरी को विराम के दिन कथा सूबह 8 से 11 बजे तक होगी। भक्तों की भारी भीड़ को संभालने में पुलिस और स्वयंसेवकों का खास सहयोग है।