सूरत : श्रम कानून सुधार और ईएसआईसी सुविधाओं को लेकर एसजीसीसीआई और एसजीपीसी की बैठक

सूरत : श्रम कानून सुधार और ईएसआईसी सुविधाओं को लेकर एसजीसीसीआई और एसजीपीसी की बैठक

सूरत। साउथ गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) और साउथ गुजरात प्रोडक्टिविटी काउंसिल (एसजीपीसी) ने श्रम कानून सलाहकार एसोसिएशन के साथ मिलकर औद्योगिक और श्रम कानून सुधार को लेकर एक इंटरैक्टिव बैठक का आयोजन किया। यह बैठक नानपुरा स्थित समृद्धि बिल्डिंग में संपन्न हुई, जिसमें उद्योगपति, व्यापारी, श्रम कानून विशेषज्ञ, और अन्य पेशेवर उपस्थित रहे।

इस बैठक में  ईएसआईसी अस्पताल की कमी पर चिंता जताई गई।  सूरत में ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) अस्पताल पिछले सात वर्षों से बंद है। सूरत, नवसारी और वापी में 4,82,000 ईएसआईसी पात्र कर्मचारी हैं, लेकिन इन कर्मचारियों के लिए सूरत में कोई ईएसआईसी अस्पताल उपलब्ध नहीं है। यह कमी न केवल श्रमिकों की चिकित्सा सुविधाओं को बाधित करती है, बल्कि उनकी उत्पादकता को भी प्रभावित करती है।

बैठक में निर्णय लिया गया कि एसजीसीसीआई, एसजीपीसी और श्रम कानून सलाहकार संघ मिलकर एक कोर कमेटी बनाएंगे। कोर कमेटी द्वारा सूरत में नए ईएसआईसी अस्पताल खोलने का प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए, ईएसआईसी डिस्पेंसरियों में दुर्घटनाओं के लंबित मामलों का समाधान करने के लिए।,संबंधित सरकारी विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर स्थानीय समस्याओं को हल करने के लिए प्रयास करेगी। 

चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विजय मेवावाला ने कहा भारत के आर्थिक विकास में उद्योगों की भूमिका महत्वपूर्ण है। श्रम कानूनों का अनुपालन श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करता है और औद्योगिक अनुशासन सुनिश्चित करता है।

पैनलिस्टों ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों का स्थानीय स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए।औद्योगिक दुर्घटनाओं से निपटने के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाओं और लाभकारी कानूनों को प्रभावी रूप से लागू किया जाए। प्रमुख वक्ताओं और पैनलिस्टों का योगदान रहा। श्रम कानून सलाहकार संघ के अध्यक्ष भरत देसाई ने बैठक की रूपरेखा प्रस्तुत की। पैनल चर्चा में नीरव राणा, नेहाल चोकसी, मल्हार मेहता, और सोहेल सवानी शामिल थे। संचालन डॉ. अनिल सरावगी और अध्यक्षता संजय पंजाबी ने की।

बैठक में चैंबर के पूर्व अध्यक्ष अरविंद कपाड़िया, दिलीप चश्मावाला, और अन्य प्रमुख उद्यमी, व्यापारी, और श्रम कानून विशेषज्ञ शामिल हुए।

बैठक का मुख्य उद्देश्य उद्योगों और श्रमिकों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाना और सामूहिक विकास को बढ़ावा देना था। इस दिशा में कोर कमेटी का गठन और भविष्य की योजनाएं एक सकारात्मक कदम हैं, जो सूरत को औद्योगिक शहर के रूप में और मजबूत बनाएंगी।

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