अदाणी विल्मर की हिस्सेदारी बेचने से समूह को मिलेंगे 7,148 करोड़ रुपये
नयी दिल्ली, नौ जनवरी (भाषा) अदाणी समूह खुले बाजार में रोजमर्रा के उपभोग का सामान बनाने वाली (एफएमसीजी) कंपनी अदाणी विल्मर में 20 प्रतिशत तक हिस्सेदारी बेचकर 7,148 करोड़ रुपये जुटाएगा। यह कदम समूह की बुनियादी ढांचा कारोबार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए गैर-प्रमुख कारोबार से बाहर निकलने की रणनीति का हिस्सा है।
कंपनी द्वारा शेयर बाजार को दी गई सूचना के अनुसार, समूह 10 जनवरी को (गैर-खुदरा निवेशकों को) और 13 जनवरी को (खुदरा निवेशकों को) 275 रुपये प्रति शेयर के न्यूनतम मूल्य पर कंपनी में 17.54 करोड़ शेयर (13.50 प्रतिशत इक्विटी) बेचेगा। समूह ने पिछले महीने अपनी अधिकांश हिस्सेदारी एक संयुक्त उद्यम साझेदार को बेचकर अदाणी विल्मर से बाहर निकलने की घोषणा की थी।
बिक्री पेशकश (ओएफएस) में 8.44 करोड़ शेयर या 6.50 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी अतिरिक्त रूप से बेचने का विकल्प शामिल होगा।
यह बंदरगाह से लेकर बिजली तक के कारोबार से जुड़े इस समूह के संयुक्त उद्यम से बाहर निकलने का पहला चरण है, जिसमें इसकी 43.94 प्रतिशत हिस्सेदारी है। दूसरे चरण में सिंगापुर की विल्मर इंटरनेशनल लिमिटेड ने शेष हिस्सेदारी 305 रुपये प्रति शेयर से अधिक कीमत पर खरीदने पर सहमति जताई है।
अदाणी ने कंपनी से बाहर निकलने की घोषणा की है। विल्मर फॉर्च्यून ब्रांड का खाद्य तेल, गेहूं का आटा और अन्य खाद्य उत्पाद बनाती है।
घोषणा के अनुसार, अदाणी द्वारा विल्मर को 40.37 करोड़ शेयर (31.06 प्रतिशत हिस्सेदारी) अधिकतम 305 रुपये प्रति शेयर के मूल्य पर बेचे जाएंगे।
विल्मर को बेचे जाने वाले शेयरों की संख्या ओएफएस की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगी।
कुल मिलाकर, अदाणी को इस निकासी से दो अरब डॉलर (लगभग 17,100 करोड़ रुपये) से अधिक की राशि मिलने की उम्मीद है।
इस सौदे के 31 मार्च, 2025 तक पूरा होने की संभावना है।
हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त राशि का उपयोग अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के प्रमुख बुनियादी ढांचा कारोबार की वृद्धि को गति देने के लिए किया जाएगा।
अदाणी विल्मर लिमिटेड अदाणी समूह और सिंगापुर स्थित जिंस कारोबारी विल्मर के बीच एक समान संयुक्त उद्यम है।
दोनों भागीदारों के पास वर्तमान में अदाणी विल्मर में संयुक्त रूप से 87.87 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जो अधिकतम स्वीकार्य 75 प्रतिशत से कहीं अधिक है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के अनुसार बड़ी कंपनियों को सूचीबद्ध होने के तीन वर्ष के भीतर कम से कम 25 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता हासिल करने की जरूरत होती है।