सूरत : डुमस भूमि घोटाले में स्थानीय प्रशासन पर गंभीर सवाल, बिना एनए के फर्जी संपत्ति कार्ड बनाए 

"किसी ने नहीं सुनी, मुख्यमंत्री और सीआईडी ​​क्राइम से लगाई गुहार" : शिकायतकर्ता आजाद रामोलिया

सूरत : डुमस भूमि घोटाले में स्थानीय प्रशासन पर गंभीर सवाल, बिना एनए के फर्जी संपत्ति कार्ड बनाए 

सूरत के वेसु क्षेत्र, जिसे शहर का सबसे पॉश इलाका माना जाता है, में भूमि घोटाले का एक बड़ा मामला सामने आया है। यह मामला सूरत एयरपोर्ट के सामने डुमस, वांटा और गवियर तक फैले इलाके की लाखों वर्ग मीटर जमीन से जुड़ा है, जिसकी बाजार कीमत एक वर्ग मीटर के लिए 30 से 50 हजार तक है। आरोप है कि बिना वैध प्रक्रियाओं के इस जमीन के फर्जी प्रॉपर्टी कार्ड बनाए गए और इसे अवैध रूप से बेचा गया।

शांत क्षेत्र (साइलेंट ज़ोन) के तहत आने वाली 1.80 लाख वर्ग मीटर भूमि के मालिक आज़ाद रामोलिया ने सबसे पहले इस घोटाले की शिकायत की। उन्होंने बताया कि उनकी जमीन के लिए कुल 131 फर्जी प्रॉपर्टी कार्ड तैयार किए गए। पूरे इलाके में करीब 351 फर्जी प्रॉपर्टी कार्ड बनाने का अनुमान है।

रामोलिया ने स्थानीय प्रशासन, प्रांतीय अधिकारी, कलेक्टर, और पुलिस कमिश्नर से शिकायत की, लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया। जब कहीं से मदद नहीं मिली, तो उन्होंने गांधीनगर में मुख्यमंत्री के एक स्वागत कार्यक्रम में अपनी समस्या रखी। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद, मामला सीआईडी ​​क्राइम को सौंपा गया और जांच शुरू हुई।

रामोलिया के अनुसार, जमीन का प्रॉपर्टी कार्ड बिना वैध गैर-कृषि (एनए) प्रक्रिया के बनाया गया। इस अवैध दस्तावेज़ के सहारे जमीन को दूसरों के नाम पर स्थानांतरित कर दिया गया। उनकी जमीन का प्रॉपर्टी कार्ड समुध्दि कोर्पोरेशन के पार्टनर नरेश शाह की पत्नी मीना शाह और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर पाया गया।

शिकायतकर्ता का कहना है कि बिना स्थानीय प्रशासन और अधिकारियों की मिलीभगत के यह घोटाला संभव नहीं है। जांच में यह भी पाया गया है कि साइलेंट ज़ोन में करीब 5 लाख वर्ग मीटर जमीन घोटाले की चपेट में है।

रामोलिया ने जनता को चेतावनी दी है कि साइलेंट ज़ोन में प्लॉट खरीदने से पहले सभी दस्तावेजों की गहन जांच करें। सीआईडी ​​क्राइम इस मामले की गहन जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच में कई सबूत सामने आए हैं, और जांचकर्ताओं का मानना है कि मामला हजारों करोड़ रुपये के भूमि घोटाले का हो सकता है।

रामोलिया ने कहा, "मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद मुझे न्याय की उम्मीद है। यदि जांच गहराई से की जाए, तो कई नए तथ्य उजागर हो सकते हैं। गुजरात में यह पहला मामला है, जहां बिना वैध गैर-कृषि प्रक्रिया के संपत्ति कार्ड बनाए गए हैं। शिकायतकर्ता ने इसे बड़ा घोटाला बताया है और जांच में सभी दोषियों को सजा दिलाने की मांग की है।

इस मामले ने स्थानीय प्रशासन पर कई सवाल खड़े किए हैं। जांच के परिणाम सूरत और राज्य की भूमि प्रबंधन प्रणाली के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।

 

 

 

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