सूरत : माया को हाथ में लेने से बेडियां बंध जाती है और भगवान को हाथ में लेने मात्र से खुल जाती हैं सारी बेडियां : शास्त्री मुर्तिमान प्रभु
सोमवार 23 दिसंबर को कथा सप्ताह का समापन होगा
डुमस रोड स्थित फोर सिझन बिल्डिंग में भुत परिवार के सौजन्य से श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का आयोजन किया गया है। जिसमें कथा शास्त्री मुर्तिमान प्रभु श्रोताओं को भागवत कथा का रसपान करवा रहे है। मंगलवार 17 दिसंबर को डुमस रोड स्थित श्री गोवर्धननाथजी की हवेली से पोथी एवं कलश यात्रा निकालकर भागवत सप्ताह के कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। कथा के दौरान कृष्ण जन्म; गोकुल गमन; नंद महोत्सव; पूतना वध; कृष्ण मथुरा पुनर्गमन; रूक्मिणी विवाह और भगवान श्रीकृष्ण की अन्य लीलाओं का वर्णन करते हुए शास्त्रीजी ने कहा कि रावण ने केवल एक क्षण के लिए राम का रूप धारण किया तो उसके अंदर सद्गुण उभरने लगे; यदि हम राम के विचारों को आत्मसात करेंगे तो हमारे जीवन में साक्षात राम पधारेंगे।
भगवान हर किसी को सारे सुख नही देते है; सारी सुविधायें नही देते है, जिसके कंधे में जितनी क्षमता होती है भगवान उतनी ही जिम्मेदारी उसे सौंपते है। यदि भगवान ने आपको किसी कार्य के लिये चुना है तो उस कार्य को पुर्ण करने की क्षमता भी आपको भगवान अवश्य देते है। शास्त्रीजी ने यह भी कहा कि कृष्ण जन्म के बाद वसुदेव ने जैसे ही भगवान को अपने हाथों में उठाया उनकी सारी जंजीरें टूट गई और कारावास के सारे ताले भी टूट गए। वसुदेवजी को मथुरा से गोकुल तक जाने में जितनी भी बाधाएं थी वह सारी अपने आप दुर हो गई और जैसे ही वसुदेव जोगमाया को लेकर कारावास में लौटे सारे ताले अपने आप बंद हो गए, सारी बेड़ियां फिर से बंध गई।
शास्त्रीजी ने कहा कि माया के हाथ में लेते हैं तो बेड़ियां बंध जाती है और कृष्ण को हाथ में लेते है तो बेड़ियां खुल जाती है। वैसे ही हम अगर भगवान का नाम स्मरण करने की शुरुआत करते हैं तो हमारे जीवन की भी सारी दुविधाएं दूर हो जाएगी। हमारे घर पर बेटा हो या बेटी; शरीर का ढांचा भले ही अलग हो लेकिन अंदर के तत्व सबके समान ही होते हैं। इसलिए पुत्र और पुत्री में भेद भाव नहीं रखना चाहिए। पिपलोद विस्तार के श्रद्धालु बडी संख्या में कथा श्रवण का लाभ ले रहे है। सोमवार 23 दिसंबर को शाम को कथा सप्ताह का समापन होगा।