धारावी पुनर्विकास योजना:अदालत ने अदाणी समूह को निविदा दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज की

धारावी पुनर्विकास योजना:अदालत ने अदाणी समूह को निविदा दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज की

मुंबई, 20 दिसंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई में धारावी झुग्गी बस्ती पुनर्विकास परियोजना को अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को दिए जाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार के निविदा अदाणी समूह को देने का निर्णय मनमानी भरा नहीं है, इसमें कुछ भी अनुचित या विकृत नहीं है।

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्थित सेकलिंक टेक्नॉलॉजी कॉर्पोरेशन ने यह याचिका दायर की थी जिसमें अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को परियोजना देने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी।

पीठ ने याचिकाकर्ता की इस दलील को खारिज कर दिया कि यह निविदा निजी समूह की एक विशेष कंपनी के अनुरूप तैयार की गई थी जबकि इस प्रक्रिया में तीन बोलीदाताओं ने हिस्सा लिया था।

सेकलिंक टेक्नॉलॉजी 2018 में इस परियोजना के लिए सबसे बड़ी बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी, लेकिन उस वर्ष जारी निविदा को बाद में सरकार ने रद्द कर दिया था।

अदालत ने कहा कि याचिका में कोई उचित आधार नहीं है इसलिए इसे खारिज किया जाता है।

उच्च न्यायालय ने पाया, ‘‘ याचिका के समर्थन में दिए गए आधारों को कोई औचित्य नहीं है तदनुसार, प्राधिकारियों की ओर से की गई कार्रवाई को चुनौती (जिसके तहत पहले की निविदा प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था और नई निविदा प्रक्रिया पेश की गई) विफल रही।’’

अदाणी समूह ने 259 हेक्टेयर धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए सबसे अधिक बोली लगाई थी। 2022 की निविदा प्रक्रिया में 5,069 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ उसने इसे हासिल किया था।

इससे पहले 2018 में जारी पहली निविदा में सेकलिंक टेक्नॉलॉजी कॉर्पोरेशन 7,200 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी।

सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन ने महाराष्ट्र सरकार के 2018 की निविदा को रद्द करने और उसके बाद 2022 में अदाणी को निविदा देने के फैसले को चुनौती दी थी।

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी 2018 की निविदा प्रक्रिया में सर्वोच्च योग्य बोलीदाता थी, लेकिन इसके अलावा सरकार द्वारा कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ याचिकाकर्ता ने सबसे अधिक बोली लगाई थी लेकिन बोलीदाता के चयन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, न तो कोई आशय पत्र दिया गया और न ही किसी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।’’

अदालत ने आगे कहा कि यह एक स्थापित सिद्धांत है कि किसी निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाला बोलीदाता इस बात पर जोर नहीं दे सकता कि उसकी निविदा को केवल इसलिए स्वीकार किया जाए क्योंकि वह सबसे अधिक या सबसे कम है।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 2018 की निविदा प्रक्रिया को रद्द करने के लिए दिए गए कारणों को उसकी राय में, ‘‘अस्तित्वहीन या अनुचित या किसी विकृति पर आधारित’’ नहीं कहा जा सकता है।

सरकार ने अपने पक्ष में कहा था कि 2018 की निविदा रद्द कर दी गई थी और चार साल बाद एक नई निविदा जारी की गई थी, क्योंकि कोविड-19 वैश्विक महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कई कारकों ने वित्तीय तथा आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया था।

पुनर्विकास परियोजना के लिए पहली निविदा नवंबर 2018 में जारी की गई थी। मार्च 2019 में बोलियां खोली गईं और पाया गया कि याचिकाकर्ता कंपनी ( सेकलिंक टेक्नॉलॉजी) सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी है।

राज्य सरकार के अनुसार, उसी महीने पुनर्विकास परियोजना के लिए भारतीय रेलवे द्वारा सरकार को अतिरिक्त 45 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई गई।

सरकार ने दावा किया कि राज्य और याचिकाकर्ता कंपनी के बीच ‘‘कोई समझौता नहीं हुआ’’ और इसलिए इस मामले में उसका कोई कानूनी अधिकार नहीं है।

नवंबर 2020 में पहली निविदा को रद्द करने के लिए एक सरकारी प्रस्ताव जारी किया गया जिसमें दावा किया गया कि ‘‘ बोली की नियत तिथि ’’ के बाद निविदा की स्थिति में भौतिक बदलाव आए हैं।

सरकार ने कहा कि नई निविदा में बोलियां नए सिरे से प्रस्तुत की जानी थीं और याचिकाकर्ता इसकी शर्तों का पालन करते हुए नई बोली प्रस्तुत कर सकता था।

धारावी एक विशाल झुग्गी बस्ती है जिसमें आवासीय और छोटी औद्योगिक इकाइयों का मिश्रण है।

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और कांग्रेस सहित महाराष्ट्र के विपक्षी दलों ने अदाणी समूह को निविदा दिए जाने का कड़ा विरोध किया था और पूरी प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाया था, जिसे महायुति सरकार ने खारिज कर दिया था।

(यह खबर समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा की ऑटो जनरेटेड न्यूज फिड से सीधे ली गई है और लोकतेज टीम ने इसमें कोई संपादकीय फेरबदल नहीं किया है।)