यदि समीक्षा न की जाए तो संस्थाओं और व्यक्तियों का पतन निश्चित है: धनखड़

यदि समीक्षा न की जाए तो संस्थाओं और व्यक्तियों का पतन निश्चित है: धनखड़

नयी दिल्ली, 14 दिसंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोकतंत्र के लिए अभिव्यक्ति और संवाद के महत्व को रेखांकित करते हुए शनिवार को कहा कि यदि समीक्षा न की जाए तो संस्थाएं और व्यक्तियों का पतन निश्चित है।

राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने कहा, “...समीक्षा, स्व-समीक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। यदि किसी सज्जन पुरुष या महिला को समीक्षा से दूर रखा जाता है, तो यह किसी व्यक्ति या संस्थान के पतन का सबसे निश्चित तरीका है। आप समीक्षा से दूर रहेंगे, तो आपका पतन सुनिश्चित है। इसलिए स्व-समीक्षा और दूसरों की समीक्षा आवश्यक है।”

राज्यसभा में विपक्षी दलों ने सभापति के रूप में पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है।

धनखड़ यहां भारतीय डाक एवं दूरसंचार लेखा एवं वित्त सेवा (आईपीएंडटीएएफएस) के 50वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया भी मौजूद थे।

इस सप्ताह की शुरुआत में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के 60 सांसदों ने नोटिस प्रस्तुत किया था, जो देश के इतिहास में इस प्रकार का पहला कदम था।

धनखड़ ने कहा कि संस्थाओं के लिए चुनौतियां अक्सर सार्थक संवाद और प्रामाणिक अभिव्यक्ति के क्षरण से उत्पन्न होती हैं।

उन्होंने कहा, “अभिव्यक्ति और सार्थक संवाद दोनों ही लोकतंत्र के अनमोल रत्न हैं। अभिव्यक्ति और संचार एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के बीच सामंजस्य ही सफलता की कुंजी है।”

लोकतंत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “लोकतंत्र केवल व्यवस्थाओं की वजह से नहीं, बल्कि मूल्यों की वजह से भी फलता-फूलता है...यह अभिव्यक्ति और संवाद के संतुलन पर केंद्रित होना चाहिए। अभिव्यक्ति और संवाद लोकतंत्र को ताकत देते हैं।’’