आरबीआई ने प्रवासी भारतीयों की विदेशी मुद्रा जमा पर ब्याज दरें बढ़ाईं
मुंबई, छह दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अनिवासी भारतीयों की विदेशी मुद्रा जमाओं पर ब्याज दर सीमा बढ़ाने का शुक्रवार को ऐलान किया। इस कदम का उद्देश्य रुपये पर दबाव के बीच पूंजी प्रवाह को बढ़ाना है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने चालू वित्त वर्ष के लिए पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि विदेशी मुद्रा अनिवासी बैंक जमा यानी एफसीएनआर (बी) जमा पर ब्याज दर की सीमा को अवधि के हिसाब से बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
केंद्रीय बैंक ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब रुपया डॉलर के मुकाबले अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। रुपया मौजूदा सप्ताह में ही अब तक सबसे निचले स्तर 84.75 प्रति डॉलर तक आ गया था।
रिजर्व बैंक रुपये की अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करता दिख रहा है। इसी क्रम में आरबीआई ने अनिवासी भारतीयों की विदेशी मुद्रा जमा पर ब्याज दर बढ़ाने का फैसला किया है।
शुक्रवार से बैंकों को अब एक वर्ष से लेकर तीन वर्ष से कम अवधि की नई एफसीएनआर (बी) जमाएं अल्पकालिक वैकल्पिक संदर्भ दर (एआरआर) जमा चार प्रतिशत दर पर जुटाने की अनुमति दे दी गई है जबकि पहले यह 2.50 प्रतिशत थी।
इसी तरह, तीन से पांच वर्ष की अवधि की परिपक्वता अवधि वाली जमाओं पर एआरआर प्लस पांच प्रतिशत ब्याज दिया जा सकता है, जबकि पहले यह सीमा 3.50 प्रतिशत थी।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एफसीएनआर पर यह छूट अगले वर्ष 31 मार्च तक ही उपलब्ध रहेगी।
उल्लेखनीय है कि दुनिया में विदेशों से सर्वाधिक धनप्रेषण हासिल करने वाले देश भारत ने रुपये पर आए दबाव के बीच हाल में एनआरआई जमाओं पर बेहतर पेशकश की है।
दास ने कहा कि अक्टूबर और नवंबर में अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से बिकवाली के दबाव से रुपये में 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों की तुलना में अस्थिरता कम रही है।
दास ने कहा कि आरबीआई की विनिमय दर नीति बाजारों को स्तर निर्धारित करने देने के लिए सुसंगत रही है। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग अनुचित अस्थिरता को कम करने, बाजार का विश्वास बनाए रखने और समग्र वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए विवेकपूर्ण तरीके से किया जाता है।
इस बीच, दास ने 'भारत कनेक्ट' के साथ जुड़ाव के जरिये विदेशी मुद्रा-खुदरा मंच की पहुंच को बढ़ाने की भी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि व्यक्तियों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए विदेशी मुद्रा के मूल्य निर्धारण में अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के इरादे से भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल) ने 2019 में एफएक्स-रिटेल मंच पेश किया था।
फिलहाल यह मंच एक इंटरनेट-आधारित ऐप के जरिये सुलभ है लेकिन अब इसे एनपीसीआई भारत कनेक्ट द्वारा संचालित भारत कनेक्ट (पूर्व में भारत बिल भुगतान प्रणाली) के साथ जोड़ने का प्रस्ताव है।