अहमदाबाद : ख्याति अस्पताल में दाे मरीजाें की माैत, ग्रामीणाें का हंगामा व ताेड़फाड़
आयुष्मान कार्ड राशि हड़पने के लिए इलाज का आराेप, स्वास्थ्य मंत्री ने दिया जांच का आदेश
अहमदाबाद, 12 नवंबर (हि.स.) | नगर के एक नामी ख्याति मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के कड़ी तहसील के बोरिसना गांव में एक स्वास्थ्य जांच शिविर में भर्ती किए गए दो मरीजों की अहमदाबाद के अस्पताल में मौत हो गई।
अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाकर ग्रामीणों ने मंगलवार सुबह अस्पताल पहुंचकर तोड़फोड़ व हंगामा किया। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेवाई) के के तहत सरकारी पैसे लेने के लिए लोगों का इलाज किया गया। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेष पटेल ने संज्ञान लेकर पूरी घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक जिले कड़ी तहसील के बोरिसना गांव में एसजी हाईवे पर स्थित एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की ओर से एक जांच शिविर लगाया था। इसमें पीएमजेवाई के तहत लोगों को इलाज और परीक्षण के लिए बुलाया गया था। यहां स्वास्थ्य जांच के बाद मरीजों को अहमदाबाद अस्पताल लाया गया।
मरीजों के परिजनों का आरोप है कि परिवारों को सूचित किए बिना 19 लोगों की एंजियोग्राफी और सात मरीजों की एंजियोप्लास्टी की गई। इसके बाद इलाज के दौरान दो लोग, सेनम नागर मोतीभाई और बारोट महेश गिरधरभाई की मौत हाे गई जबकि सात अन्य लाेग अभी आईसीयू में भर्ती हैं।
इस घटना के बाद बोरिसना गांव के आक्राेशित ग्रामीण सुबह अस्पताल पहुंचे और तोड़फोड़ कर दी। घटना की गंभीरता को देखते हुए अहमदाबाद महानगरपालिका के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख डॉ. भाविन सोलंकी पूरे मामले की जानकारी लेने के लिए स्थायी समिति के अध्यक्ष देवांग दानी और पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल भी उक्त अस्पताल पहुंचे। अस्पताल में कोई भी जिम्मेदार डॉक्टर मौजूद नहीं मिला। अस्पताल के निदेशक और चेयरमैन समेत सभी लोग गायब हैं | अस्पताल के आईसीयू में फिलहाल एक ही डॉक्टर मौजूद है।
अस्पताल पहुंचे पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि दो दिन पहले मुझे जानकारी मिली थी कि ख्याति अस्पताल की ओर से कड़ी के बोरिसना गांव में शुल्क शिविर लगाया गया है। इसके लिए गांव में पोस्टर भी लगाए गए। गांव के 19 से 20 मरीजों को लेकर साेमवार काे अस्पताल लाया गया और उनमें से ज्यादातर का इलाज सीधे कार्डियक एंजियोग्राफी के लिए किया गया। इनमें से कुछ की एंजियोप्लास्टी भी की गई| उन्हाेंने बताया कि इस तरह के इलाज के लिए अस्पताल को पहले अनुमति लेनी पड़ती है और ऑनलाइन मंजूरी में भी समय लगता है। पहली नजर में ऐसा लगता है कि अनावश्यक ऑपरेशन किया गया है| ऐसे मामलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए।
इसी बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेष पटेल ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही एएमसी की टीम भी जांच कर रही है। गांव के सरपंच के मुताबिक उन्हीं लोगों को अस्पताल में जांच के लिए बुलाया गया, जिनके पास आयुष्यमान कार्ड था। इसलिए इन लोगों की मंशा पहले से ही सरकारी योजना को चूना लगाने की थी। इस अस्पताल पर सरकारी योजना के नाम पर घोटाला करने के पहले भी आराेप लग चुके हैं।