सूरत : ज्ञान वह है जिसमें मान का जरा भी अभिमान न हो : संत शंभु शरण लाटा
शालिग्राम एवं तुलसी विवाह के साथ होगा राम कथा का समापन
जिस सुख की उपमा किसी से न की जा सके वही भक्ति, जीवन में वासना आक्रमण करे तो उपासना की ओर देखना चाहिए
जिस सुख की उपमा किसी से न की जा सके वाणी गदगद हो जाए वही भक्ति है। व्यासपीठ से यह उद्गार व्यक्त किया शंभू शरण लाटा ने। वे सोमवार को अयोध्याधाम, सिटीलाइट में सीताहरण और शबरी की कथा प्रसंग का रसपान भक्तों को करा रहे थे। शबरी के भाग जागे श्री राम आए हैं ...दोनों नयन खुशी से आंसू बहा रहे हैं ....भजन पर श्रोता भावविभोर गये। उन्होंने शबरी के पूर्व ,भव का वर्णन किया। फिर शबरी दवारा भगवान राम के पांद प्रक्षालन का प्रसंग के साथ ही शबरी द्वारा राम को सुग्रीव के ठिकाना बताने का वर्णन किया। इस बीच भगवान राम ने माता शबरी को नवधा भक्ति का ज्ञान दिया।
महाराज ने कहा कि हमें परहित की चिंता करनी चाहिए, जितने भी संत महात्मा साधना करते हैं, वे यही प्रार्थना करते हैं कि संसार में प्राणी मात्र सुखी हो। उन्होंने बताया कि लक्ष्मण जी के पूछने पर रामजी ने समझाया कि मैं - मेरा, तू - तेरा ही माया है। जहां तक मन, बुद्धि जाती है, वहां तक माया का प्रभाव होता है। ग्यान वो है जिसमें मान का जरा भी अभिमान न हो। जो सिध्दि का त्याग कर दे, वह वैरागी है। यह संसार आज तक किसी का नहीं हुआ और न हो सकता है।
संतजी ने बताया कि पंचवटी में सूपनखा राम से विवाह का प्रस्ताव रखती है , रामजी छोटे भाई लक्ष्मण के पास भेज देते हैं। लक्ष्मण जी सूपनखा का नाक कान काट लेते हैं। जीवन में वासना आक्रमण करे तो उपासना की ओर देखना चाहिए। रामजी सूपनखा के प्रस्ताव पर सीताजी की तरफ देख रहे थे।जिससे वासना उपासना पर आक्रमण न कर सके। शराब पीने वाले को हिदायत देते हुए कहा कि राम कथा का रस पीने की आदत डाल
लो, जीवन बदल जाएगा। ये ऐसी खुमारी है जो एक बार चढी तो फिर कभी नही उतरती है।
महाराजजी ने कहा कि रावण मामा मारीचि को सोने का हिरन बनाकर सीताजी का हरण कर लेता है। जटायु के पंख काट लेता है। रामजी सीताजी के वियोग में मनुष्य की तरह विलाप करते हैं। बल का प्रयोग विवेक के साथ करें। फिर रावण का साधु वेष धारण कर सीता की कुटिया पर आना व भिक्षा मांगने का वर्णन किया। उसके बाद रावण द्वारा सीता का हरण कर श्रीलंका ले जाना व सीता के विलाप का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि भगवान पर भरोसा रखकर भक्ति करें। नरसी मेहता का जिक्र करते हुए उन्होंने मम्हारी हुंडी स्वीकारो महाराज रे सांवरा गिरधारी...आदि भजनों की प्रस्तुति से पंडाल में उपस्थित श्रोता भाव विभोर हो गये। हरि नाम नहीं तो जीना क्या ?अम्रत है हरिनाम जगत में छोड बिषय बिष पीना क्या? हरि नाम नहीं तो जीना क्या? धन चाहे तो धर्म करि, कर राज की इच्छा तो तप कर, मुक्ति चाहिए तो भजन कर आदि भजनों की प्रस्तुति दी।
ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष सुशील बजाज एवं सरंक्षक संजय जगनानी ने बताया की मंगलवार को रामचरितमानस का पाठ 10 बजे समापन के पश्चात शांति हवन का कार्यक्रम होगा। राम कथा का समय 2 बजे से 5 बजे तक रहेगा। उसके पश्चात शालिग्राम जी की बारात सूर्याप्रकाश सोसाइटी सीटी लाइट से गाजे बाजे और ढ़ोल नगाड़ो के साथ रवाना होकर कथा स्थल पर आएगी। सायंकाल में शालिग्राम एवं तुलसी विवाह का भव्य आयोजन होगा।
दैनिक यजमान बनवारी लाल मुरारका, पवन काबरा, बाबू लाल मित्तल, अशोक सिंगल, श्री गोपाल देवड़ा, शिवरतन देवड़ा, अशोक टिबरेवाल, देवीदत्त पोद्दार, दशरथ अग्रवाल, रामु तोदी, बसंत अग्रवाल आदि ,उपस्थित रहे। समाज के अग्रणीय बनवारी लाल पोद्दार, संजय जालान, मनोज गोयल ने भाव विभोर होकर सबरी कथा का श्रवण किया। मीडिया प्रमुख सोनू अग्रवाल ने बताया ट्रस्ट के अग्रणीय मुरारी सराफ, जसवंत सरावगी, विनोद चिड़ावावला ने व्यवस्था में अपना पूर्ण सहयोग दिया। श्री लक्ष्मी नाथ सेवा समिति के सदस्य मुरारी सराफ, राजेश सराफ उपस्थित रहे।