सूरत : कपड़ा मार्केट से लेकर डाइंग-प्रिंटिंग इकाइयों तक श्रमिकों का टोटा

आगामी 15 दिनों तक बनी रह सकती है श्रमिकों की कमी : राजेन्द्र उपाध्याय

सूरत : कपड़ा मार्केट से लेकर डाइंग-प्रिंटिंग इकाइयों तक श्रमिकों का टोटा

 दीपावली त्यौहार बीत जाने के 10 दिन बाद भी कपड़ा मार्केट से लेकर डाइंग-प्रिंटिंग इकाइयों तक श्रमयोगियों की कमी बनी हुई है,जिससे लेबर कांट्रेक्टर जूझ रहे हैं। दीपावली वेकेशन के बाद पूर्वोत्तर भारत की लोक आस्था का महा पर्व छठ भी संपन्न हो गया, लेकिन अभी भी अपने गांव गए श्रमिक वापस नहीं आए हैं। श्रमियों की कमी से कपड़ा मार्केट में ग्रे-फिनिश माल ले जाने अथवा कपड़ा मार्केट के दुकानों से ग्रे-ताका डाइंग-प्रिंटिंग इकाइयों तक ले जाने के लिए कर्मचारियों का टोटा दिखाई दे रहा है। 

लाभ पांचम के दिन तकरीबन सभी कपड़ा मार्केटों में 15 से 20 प्रतिशत कारोबारियों ने मुहूर्त कर कामकाज शुरू किया। इसके बाद सोमवार से तकरीबन 30 से 35 प्रतिशत ही दुकानें खुलीं। इससे इतर लाभपांचम से लेकर सोमवार तक डाइंग-प्रिंटिंग इकाइयों में मुहूर्त का दौर चालू जारी रहा। विलंब से डाइंग एंड प्रिंटिंग यूनिट शुरू होने का मुख्य कारण श्रमिक ही है। क्योंकि दीपावली के 10 दिन बाद भी श्रमिक नहीं आए हैं। जिससे लेबर कांट्रेक्टर बाहर से श्रमिकों को डेली बेस पर लाकर किसी तरह काम करवा रहे हैं। इसके लिए उन्हें अधिक रुपये भी देने पड़ते हैं।

 ग्रे फिनिश डिलीवरी टेंपो कान्ट्रेक्टर वेलफेयर एसोसिएशन के प्रमुख राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि हर साल दीपावली से एक सप्ताह पूर्व ही श्रमिक अपने गांव की ओर रुख करने लगते हैं। जिससे दीपावली के पहले से ही श्रमिकों का अभाव होने लगता है और दीपावली के बाद तो और भी बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर डाइंग-प्रिंटिंग एकाइयों में काम के लिए श्रमिक नहीं मिल रहे हैं, वहीं मार्केट से ताका उठाने तथा लूम्स कारखानों से ग्रे दुकान तक पहुंचाने और कपड़ा मार्केट से ग्रे-ताका मिलों तक ले जाने के लिए श्रमिक नहीं मिल रहे हैं। इसके लिए दिहाड़ी मजदूरों को लाकर जरूरत के अनुसार काम करवाया जा रहा है, जिसके लिए अधिक पैसे भी खर्च करने पड़ रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि आगामी कुछ दिनों यानी एक सप्ताह के बाद स्कूल खुलने पर बाहर गांव गए श्रमयोगियों के आने की संभावना है, जिससे आगामी 18 नवंबर सोमवार से कपड़ा मार्केट एवं डाइंग-प्रिंटिंग एकाइयों में श्रमयोगियों का अभाव थोड़ा काम हो सकता है। मंगलवार 12 नवंबर को देव उठनी एकादशी के बाद से शादी विवाह के प्रसंग शुरू हो जाने से कुछ श्रमिक तकरीबन 15 से 20 दिन देरी से अपने वतन से आएंगे, जिससे आगामी 15 दिनों तक श्रमिकों की कमी बनी रहेगी। 

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