सूरत : बिहार विकास परिषद ने जहांगीरपुरा, डभोली छठ घाट एवं वेड रोड ताप्ती नदी तट मनाया छठ महापर्व
अगर 'उदय' का 'अस्त' भौगोलिक नियम है तो 'अस्त' का 'उदय' प्राकृतिक और आध्यात्मिक सत्य
बिहार विकास परिषद सूरत द्वारा आयोजित छठ पूजा पिछले तीन दशक से बड़े ही हर्ष उल्हास से मना रही है। परिषद के पदाधिकारी, कार्यकर्ता, सूरत महानगर पालिका के सहयोग से तापी आरती छठ घाट, इस्कॉन मंदिर के पीछे, जहांगीरपुरा एवं डभोली छठ घाट, वेड रोड ताप्ती नदी तट पर छठ पूजा धूमधाम से मनाई गई।
इस्कॉन मंदिर जी पीछे तापी तट पर लगभग एक किलोमीटर लम्बे जगह की साफ़ सफाई कर अस्थाई घाट सूरत महानगर पालिका के सहयोग से तैयार किया गया। अग्निशामक दल की भी टीम तापी नदी के किनारे नाव से फायर ब्रिगेड के जवान गस्त लगाते देखे गए। इसी क्रम में सूरत पुलिस की टीम भी सुरक्षा के मद्देनजर रखते हुए उच्च अधिकारियों के साथ तापी आरती छठ घाट पर मौजूद रही।
शुक्रवार 8 नवंबर, 2024 को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया, और इसी के साथ 4 दिनों से चला आ रहा छठ पर्व समाप्त हुआ। इस बार उत्तर भारतीयों के लगभग 75000 व्रत करने वाले (छठ वर्ती) श्रद्धालु, परिवार के सदस्य और मित्रगण महापर्व छठ पूजा में भाग लिया। आयोजन स्थल, इस्कॉन मंदिर के पीछे, जंहागीरपुरा, तापी नदी के तट पर ही छठ व्रती और उनके साथ रहने वाले श्रद्धालु के रहने और खान पान की पुरी वयस्था बिहार विकास परिषद की तरफ से की गई थी। छठ पूजा समिति और बिहार विकास परिषद् के पदाधिकारियों ने महापर्व छठ पूजा के दूसरे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न होने पर राहत की सांस ली है।
उगते सूरज की पूजा' तो संसार का विधान है, पर सिर्फ और सिर्फ हम 'भारतवासी' अस्ताचलगामी सूर्य की भी अराधना करते हैं, और वो भी, उगते सूर्य से पहले। अगर 'उदय' का 'अस्त' भौगोलिक नियम है, तो 'अस्त' का 'उदय' प्राकृतिक और आध्यात्मिक सत्य। इस प्रकार इस छठ पूजा का समापन किया जाता है। प्रकृति के अंतिम स्वरूप और ऊर्जा के अक्षुण्ण श्रोत, भगवान भास्कर की अराधना के महापर्व 'छठ' की शुभकामनाएँ।