सूरत : दीपावली से पूर्व ही शुरू हो गई श्रमिकों की समस्या!
कपड़ा मार्केट से लेकर डाइंग-प्रिंटिंग एकमों तक श्रमिकों के अभाव से जूझ रहे हैं ठेकेदार
कपड़ा मार्केट में श्रावण माह के शुभारंभ से लेकर दीपावली तक यानी तकरीबन 2 महीने तक टेक्सटाइल उद्योग में कपड़ा मार्केट से लेकर डाइंग-प्रिंटिंग एकमों एवं एंब्रायडरी से लेकर वीविंग-नीटिंग उद्योग के साथ ही टेक्सटाइल मशीनरी उद्योग में भी बहुत ही अच्छी ग्राहकी देखने को मिली। हालांकि कपड़ा मार्केट में अभी भी ग्राहकी का दौर चल रही है और दीपावली के बाद भी ग्राहकी की पूरी संभावना होने के उम्मीद के साथ कपड़ा कारोबारी अपना रेंज लगाने में जुटे हुए हैं। परंतु इस बीच श्रमिकों की कमी अब खटकने लगी है।
मिल टेम्पो डीलीवरी कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन के प्रमुख राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि दीपावली पर्व में भले ही अभी एक सप्ताह का समय है, लेकिन श्रम योगी अपने वतन के लिए जाना शुरू कर दिया है, जिससे कपड़ा मार्केट से लेकर डाइंग-प्रिंटिंग एकमों तक श्रम योगियों की कमी होने लगी है। आलम यह है कि मार्केट में काम करने के लिए यानी पार्सल उतारने चढ़ाने एवं ताका लाने ले जाने और मार्केट में दुकानों पर पहुंचाने के लिए श्रमिकों को अधिक रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। यही हाल डाइंग प्रिंटिंग इकाइयों में भी है। वहां भी श्रमिकों की कमी बनी हुई है। श्रमियों के गांव जाने से अधिक रुपए देकर कारीगरों को काम पर लाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि पहले जो श्रमिक 500 से 700 में काम करते थे, अब वही काम करवाने के लिए 1200-1300 रुपये चुकाने
पड़ते हैं।
मिल टेम्पो डीलीवरी कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन के प्रमुख ने बताया कि अब जो श्रमयोगी अपने वतन उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा जा रहे हैं उन सभी श्रमयोगियों के 15 नवंबर से पहले आने की उम्मीद कम है। कारण कि दीपावली पर्व के बाद छठ पूजा तक त्यौहार मनाएंगे। इसके बाद टिकट की व्यवस्था कर अपने कर्म स्थली आने का प्रयास करेंगे। साथ ही देवउठनी एकादशी के बाद शादी-विवाह के प्रसंग शुरु होने और धान की कटाई व गेहूं की बुवाई का समय होने से कुछ श्रमिकों के अधिक दिनों तक भी रुकने की संभावना जताई जा रही है। उन्होंने बताया कि आगामी 15 नवंबर तक कपड़ा मार्केट एवं डाइंग-प्रिंटिंग एकमों में श्रमिकों की कमी बनी रह सकती है।