सूरत : पटना-मुजफ्फरपुर के लिए 24 कोच कपड़ों का पार्सल भेजे गए

समय से बाहर की मंडियों में माल पहुंचे इसके लिए रेलवे द्वारा भेजे रहे हैं पार्सल : नीरज सिंह

सूरत : पटना-मुजफ्फरपुर के लिए 24 कोच कपड़ों का पार्सल भेजे गए

बीते जुलाई माह के अंतिम सप्ताह से कपड़ा मार्केट में ग्राहकी की चहल-पहल शुरु हुई, जो अनवरत जारी है। हाल में बाहर की मंडियों में अधिक मांग होने से बहुतायत संख्या में सूरत से पार्सल भेजे रहे हैं। जिसके फल स्वरुप ट्रांसपोर्ट गोदामों में पार्सल रखने की जगह नहीं होने के साथ ही ट्रकों की कमी महसूस की जा रही है। ट्रकों की कमी आड़े न आवे इसके लिए कुछ ट्रांसपोर्टरों ने रेलवे द्वारा बाहर की मंडियों में पार्सल भेज रहे हैं। सूरत के आरके ट्रांसपोर्ट एवं अन्य ट्रांसपोर्टरों ने बीते सप्ताह 20 कोच पार्सल पटना के लिए भेजे थे। इसी क्रम में शुक्रवार को पटना एवं मुजफ्फरनगर के लिए पार्सल भेजे गये।

आरके ट्रांसपोर्ट के नीरज सिंह ने लोकतेज से बताया कि उत्तर भारत के ग्रामीण बाजारों में ग्राहकी निकलने से बाहर की मंडियों में कपड़ों की मांग खूब होने से हाल के दिनों में अधिक पार्सल सूरत से भेजे जा रहे हैं। जिसके लिए ट्रकों के कम पड़ने के साथ गोदामों में भी जगह कम पड़ने लगे हैं। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में तेजी होने से समय से और सुरक्षित पार्सल बाहर की मंडियों में पहुंचे इसके लिए रेलवे द्वारा पार्सलों को भेजा जा रहा है। रेलवे द्वारा एक ओर जहां बड़ी संख्या में एक साथ पार्सल भेजे जा रहे हैं, वहीं ट्रकों की कमी भी महसूस नहीं होगी। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को 24 कोचों में तकरीबन 38 ट्रकों का माल भेजा जा रहा है। प्रति कोच में तकरीबन 250 से अधिक पार्सल भरे गये हैं।  

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रेलवे एवं ट्रकों से भेजने के अंतर के बारे में पूछे गये सवाल का देते हुए श्री सिंह ने बताया कि रेलवे से पार्सल भेजने से तकरीबन 10 प्रतिशत की बचत होती है। हालांकि रेलवे द्वारा पार्सलों को भेजने में लोडिंग-अनलोडिंग का चार्ज अधिक वहन करना पड़ता है। जबकि ट्रकों से माल भेजने से एक गोदाम से ट्रकों में माल लोड होता है और दूसरे गोदाम में माल अनलोड हो जाता है। जबकि रेलवे के लिए गोदाम से ट्रक में माल लोड होता है और कोच में अनलोड होता है। फिर इसी तरह से गंतव्य पर पहुंचने के बाद रेलवे कोच से ट्रकों में लोड होने के बाद फिर गोदाम में अनलोड होगा, फिर वहां से व्यापारियों के लिए सप्लाई किया जाएगा। यह सब अतिरिक्त खर्च बढ़ जाने के बावजूद भी ट्रकों से भेजने की तुलना में खर्च कम ही पड़ते हैं। 

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रेलवे कोचों के लोड करने में कितना समय लगता होगा? का जवाब देते हुए नीरज सिंह ने बताया कि पूरे 24 कोच माल लोड करने में तकरीबन 6 से 8 घंटे लगते हैं। इस 24 कोचों में से हमारे ट्रांसपोर्ट से 10-12 कोच भरे जा रहे हैं। शेष कोच अन्य ट्रांसपोर्ट द्वारा भरे जाएंगे। उन्होंने बताया कि कोचों के भरने के साथ उसे सील कर दिया जाता है और जैसे ही पूरे कोच लोड हो जाते हैं उसे गंतव्य के लिए रवाना कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि पिछले 3 सालों से लगातार रेलवे से पार्सल भेज रहे हैं, लेकिन इस साल सबसे अधिक तेजी देखी जा रही है। यह 24 कोचों का ट्रेन शुक्रवार देर रात 2:00 बजे उधना यार्ड से पटना-मुजफ्फरपुर के लिए रवाना होगी। उल्लेखनीय है दानापुर यार्ड को पटना तथा नारायणपुर यार्ड को मुजफ्फरपुर यार्ड के नाम से जाना जाता है। यहां से पार्सलों को समग्र बिहार एवं झारखंड में पहुंचाया जाएगा। 

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