सूरत : रामलीला में हुआ दशरथ मरण, भरत मनावन व सीता हरण का मार्मिक मंचन
बुधवार को सुग्रीव मित्रता, बाली वध, लंका दहन, शबरी उद्धार लीला का मंचन होगा
वेसू के रामलीला मैदान में श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट द्वारा आयोजित रामलीला में मंगलवार 8 अक्टूबर को दशरथ मरण, भरत मनावन लीला से लेकर सीता हरण तक के प्रसंग का मंचन हुआ। ट्रस्ट के महामंत्री अनिल अग्रवाल ने रामलीला प्रसंग की जानकारी देते हुए बताया कि कैकयी द्वारा जब श्रीराम के वन जाने का वरदान मांगा जाता है तो दशरथ मूर्छित हो जाते हैं। माता कैकयी के वचन का पालन करने के लिए श्रीराम, लक्ष्मण और उनके साथ माता सीता वन को प्रस्थान करते हैं। श्रीराम के वियोग में राजा दशरथ अपना प्राण त्याग देते हैं। भरतजी को ननिहाल में जब राजा दशरथ के स्वर्गवास की सूचना मिलती है तब वह दुखी होते हैं।
अयोध्या आकर उन्हें श्रीराम के वन गमन की जानकारी मिलती है तब वह श्रीराम को मनाने के लिए चित्रकूट जाते हैं, लेकिन श्रीराम अयोध्या वापस आने से मना कर देते हैं और जिसके बाद भरत उनकी चरण पादुका लेकर अयोध्या लौट आते हैं। वन यात्रा में भगवान श्री राम को महर्षी अत्री , माता अनुसूया, सुतीक्षण, अगस्त और विभिन्न ऋषि मुनियों से भेंट होती है। वहीं रावण मारीच की सहायता से पंचवटी में आता है। सीता के कहने पर लक्ष्मण भी उनकी सहायता के लिए जाते हैं।
पीछे से रावण सीता के पास एक ब्राह्मण वेश में भिक्षा मांगने आता है और सीता का अपहरण कर लेता है। वहीं भरत मिलाप देखकर दर्शक भाव विभोर हो गए। आए हुए अतिथियों का स्वागत ट्रस्ट के अध्यक्ष एवम आनंद जिंदल, आशीष तुलस्यान, पवन गुप्ता, चंद्रकांत टीबा और ललित सराफ ने किया।राम लीला में 9 अक्टूबर बुधवार को सुग्रीव मित्रता, बाली वध, लंका दहन, शबरी उद्धार लीला का मंचन होगा।