भारत में हेल्थ केयर क्षेत्र की रूपरेखा को कौन बदल रहा है
मरीज़ अधिक जानकार बन रहे हैं और हर चीज़ के बारे में जानकारी ले रहे हैं
दिल्ली , सितम्बर 26 : चाहे कोई लक्षण हो, इलाज हो या फिर कोई ऐसी नई मेडिकल टर्म हो, जिसके बारे में आपको पता नहीं है, ऐसी किसी भी चीज़ के बारे में अधिक जानने के लिए आप सबसे पहले क्या करेंगे? Google करेंगे, क्योंकि हम जानते हैं कि Google के पास हर सवाल का जवाब होता है. इसी प्रकार, यह आदत धीरे-धीरे हेल्थकेयर इंडस्ट्री में भी बदलाव ला रही है, जिससे मरीज़ अधिक जानकार बन रहे हैं और हर चीज़ के बारे में जानकारी ले रहे हैं.
जानकारी रखने वाले मरीज़
इस बदलाव में निश्चित रूप से स्मार्टफोन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है. आज के समय में, एक मरीज़ न सिर्फ किसी हेल्थकेयर एक्सपर्ट से इलाज करवा रहा है, बल्कि अब वह जानकार बन रहा है, जानकारी हासिल कर रहा है और कुछ उम्मीदें भी लगा रहा है. अब वे अधिक सवाल पूछने लगे हैं, तुरंत जवाब पाने की उम्मीद करते हैं और इलाज या उससे जुड़े अन्य मामलों में देरी सहन नहीं करते हैं. अब उन्हें तुरंत परिणाम और वैसा ही अच्छा अनुभव चाहिए, जैसा कि उन्हें सेवा के अन्य क्षेत्रों में मिलता है. सिर्फ इतना ही नहीं, आजकल उनके लिए यह भी महत्वपूर्ण हो गया है कि हेल्थकेयर सुविधा कैसी दिखाई देती है और उसका अनुभव कैसा रहता है. अब मरीज़ क्लीनिक सेटअप से लेकर डिजिटल कम्युनिकेशन जैसे प्रिंट किया हुआ प्रिस्क्रिप्शन और अपॉइंटमेंट के रिमाइंडर जैसी बेहतर ग्राहक सेवा का अनुभव लेने की उम्मीद कर रहे हैं.
हेल्थकेयर के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी
भारत में हेल्थकेयर के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी को बहुत ही जल्द अपना लिया गया था, लेकिन अब पूरा ध्यान अस्पताल से लेकर इलाज तक के मरीज़ के अनुभव को और अधिक बेहतर बनाने पर है. ड्रीफकेस और ड्रीफकेस कनेक्ट जैसे मोबाइल ऐप की यहां बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इनकी मदद से लोग मेडिकल रिकॉर्ड को आसानी से एक्सेस कर पाते हैं और इनमें अपॉइंटमेंट मैनेज करने जैसी सुविधा भी मिलती है. अब मरीज़ों के लिए हेल्थकेयर सिस्टम को इस्तेमाल करने का तरीका वाकई बदल रहा है.
नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज
वास्तव में, भारत में हेल्थकेयर क्षेत्र की कार्य करने की क्षमता को बेहतर बनाने की दिशा में एक बेहद महत्वपूर्ण कदम है, नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज. यह एक ऐसी सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य इंश्योरेंस क्लेम प्रोसेसिंग को आसान और व्यवस्थित बनाना है. इस प्लेटफॉर्म ने हेल्थ रिकॉर्ड की सुविधा को डिजिटल बनाकर और उसमें इंश्योरेंस के डेटा को जोड़कर, यह उम्मीद जगा दी है कि अब पेपरवर्क कम हो जाएगा, क्लेम की प्रोसेस तेज़ हो जाएगी, साथ ही लोगों को हर प्रोसेस में पूरी पारदर्शिता मिलेगी. इसकी मदद से मरीज़ अपने पुराने क्लेम रिकॉर्ड और इंश्योरेंस की जानकारी को भी आसानी से एक्सेस कर सकेंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि उन्हें हेल्थकेयर का आसान, ज़्यादा स्पष्ट और पारदर्शी अनुभव मिलेगा.
आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट
इन बेहतर सुविधाओं के अलावा, आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA) एक अन्य ऐसी महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य मरीज़ों को एक यूनीक हेल्थ ID प्रदान करके उन्हें और भी ज़्यादा सशक्त बनाना है. इस अकाउंट का इस्तेमाल करके हर व्यक्ति अपने हेल्थ रिकॉर्ड, इंश्योरेंस की जानकारी और अन्य मेडिकल डेटा को आसानी से एक्सेस कर सकता है. ABHA के तहत मरीज़ के स्वास्थ्य की विस्तृत जानकारी देने की सुविधा को बढ़ावा दिया जाता है. इसके साथ ही, सोच-समझकर निर्णय लेने और हेल्थकेयर के पूरे अनुभव को बेहतर बनाने में मदद की जाती है.
ई-हेल्थ रिकॉर्ड
हालांकि, हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी में लगातार नए अपडेट आ रहे हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड को अपनाए बिना वे अपडेट अधूरे ही रह जाएंगे. एक आसान और सुविधाजनक डिजिटल हेल्थकेयर सिस्टम का अनुभव लेने के लिए, मेडिकल रिकॉर्ड को आसानी से स्टोर करने, एक्सेस करने और ज़रूरत पड़ने पर तुरंत प्राप्त और शेयर करने की सुविधा होना भी ज़रूरी है. हालांकि, इसके लिए कई सरकारी पहलें उपलब्ध हैं, लेकिन भारत में अभी, EHRs को व्यापक रूप से अपनाया जाना बाकी है. वास्तव में, मरीज़ों का सुस्त रवैया भी एक चुनौती है. लोग फिल्म देखने, फोटो क्लिक करने आदि में घंटों बिता देते हैं, लेकिन वे अपने हेल्थ रिकॉर्ड को मैनेज करने के बारे में नहीं सोचते हैं, जो बस कुछ ही सेकंड में किया जा सकता है. हेल्थकेयर के क्षेत्र में सुधार करने के लिए इस मानसिकता को बदलना ज़रूरी है.
हमें यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि भारत के हेल्थकेयर सिस्टम में उल्लेखनीय बदलाव हो रहे हैं. टेक्नोलॉजी की बढ़ती भूमिका, ज़्यादा से ज़्यादा मरीज़ों का अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना और नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज जैसी पहलों से हेल्थकेयर की सुविधा और अनुभव अब पहले से कहीं बेहतर हो रहे हैं. हालांकि, इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है लेकिन हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी की पूरी क्षमता का अनुभव तब मिलेगा, जब EHRs एक स्टैंडर्ड प्रोसेस बन जाएगा और मरीज़ों का इस क्षेत्र में और अधिक जुड़ाव होगा, जिससे सिस्टम को अधिक कुशल, पारदर्शी और मरीज़ों के अनुकूल बनाया जा सकेगा.