सूरत :  धर्म, सेवा और साहित्य की धरा है सूरत : स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज

देह मिटता है परंतु सनातन नहीं मिटता, जिसके जीवन में सत्य नहीं है वह सत्य को जान नहीं पाएगा

सूरत :  धर्म, सेवा और साहित्य की धरा है सूरत : स्वामी अवधेशानंद गिरिजी महाराज

 शहर के वेसू क्षेत्र में श्री श्याम अखंड ज्योत सेवा समिति तत्वावधान में सात दिवसीय श्री रामकथा का आयोजन किया गया है। वेसू वीआईपी रोड़ मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की गली में स्थित ग्रीन वैली सोसायटी के सामने निर्मित विशाल पंडाल में मंगलवार को व्यासपीठ पूजन कर श्री रामकथा की शुरूआत हुई। व्यासपीठ से जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि सूरत की धरा धर्म, सेवा और साहित्य की है। सूरत धर्म, सेवा की धरती है। 

स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज जी ने कहा कि इस धरा पर जितने भी जीव हैं वे सभी मृत्यु और व्याधि उपाधि से घिरे हुए हैं। हम अपने लाख प्रयास से भी इनसे मुक्त नहीं हो पाते। ऊंची ऊंची अट्टालिकाएं, कार, आभूषण महंगे कपड़े, यह सब केवल दूसरों को प्रभावित करने के लिए हैं। हमारी जो मीमांसा है, वह कभी कम नहीं होती। इस लिए हम सच से अनभिज्ञ हैं, वास्तविकता से अनजान हैं। जबकि यह सब एक सपना की तरह है। जैसे सपना देखा जाता है और आंख खुलते ही सब कुछ समाप्त हो जाता है। इसलिए जिसने भी मन की अज्ञानता को समझ लिया, वह जीवन की वास्तविकता को समझ लिया। 

स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज  ने कहा कि मनुष्य होना बहुत दुर्लभ है, हम आदमी नहीं है, हम मनुष्य हैं। मनुष्य मनु जी से है, तो मनु ही ब्रह्म हैं और ब्रह्मा ही ईश्वर हैं। ईश्वर तो कण-कण में समाया हुआ है, जल, थल, नभ सभी में वह समया हुआ है। वह सर्वव्यापी हैं, एक होकर के भी अनेक रूपों में हैं। गुरु महाराज ने मनु और शतरूपा का उल्लेख करते हुए कहा कि मनु ब्रह्म है और ब्रह्मा ईश्वर के अंश हैं, देह मिटता है परंतु सनातन नहीं मिटता।  

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कथा का मतलब ही सत्य और प्रकाश का बोध करना है। प्रभु सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलें, कथा हमें इसका बोध कराती है। जिसके जीवन में सत्य नहीं है वह सत्य को जान नहीं पाएगा। असतो मां सद्गमय... से हमें यही प्रेरणा मिलती है। भारत की धरा में राम हैं। राम अच्युतानंद हैं, वे ही सभी में समाए हुए हैं। जो सभी में ब्रह्म देखे हुए राम है। राम कभी भी किसी में पाप नहीं देखते।  शालीनता, सरलता, समर्पण, सहानुभूति जिसमें हो वह राम है। राम को कभी जीता नहीं जा सकता तो उन्हें छला भी नहीं जा सकता। इसलिए वे स्मरण योग्य हैं, भजन योग्य हैं। क्योंकि राम मुक्तिदाता हैं। राम साक्षात कथा के विग्रह हैं। 

पूरे पांडाल में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एलईडी स्क्रीन की व्यवस्था की गई है। कथा स्थल पर प्रवेश द्वार बनाया गया है। कथा पांडाल पर महिलाओं एवं पुरूषों के बैठने की पृथक व्यवस्था रखी गई है। समस्त व्यवस्थाओं के सुचारू रूप से संचालन हेतु विभिन्न समितियों का गठन भी किया गया है।

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