गांधीनगर : वेद-उपनिषदों में अक्षय ऊर्जा के संबंध में हजारों वर्ष पहले बताए गए उपायों को आज पूरी दुनिया ने माना : उपराष्ट्रपति

चौथे वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन और एक्सपो 2024 के समापन समारोह में शामिल हुए उपराष्ट्रपति

गांधीनगर : वेद-उपनिषदों में अक्षय ऊर्जा के संबंध में हजारों वर्ष पहले बताए गए उपायों को आज पूरी दुनिया ने माना : उपराष्ट्रपति

गांधीनगर, 18 सितंबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि पृथ्वी पर मौजूद प्राकृतिक संसाधन सभी के लिए हैं, लेकिन उसका उपयोग करने में हम ज्यादा लोभ करेंगे, तो वह विनाश को आमंत्रित करेगा। आज जलवायु परिवर्तन जीवसृष्टि के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। जीवसृष्टि के लिए पृथ्वी के अलावा कोई दूसरा ग्रह नहीं है, इसलिए इन समस्याओं का सामना करने के अलावा हमारे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। इस संदर्भ में भारत की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया का मार्गदर्शन कर रहा है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बुधवार काे यहां चौथे वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन और एक्सपो 2024 (री-इन्वेस्ट) के समापन समारोह काे संबाेधित

कर रहे थे। गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में आयोजित इस समापन समारोह में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी मौजूद रहे।

इस माैके पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत के प्राचीन वेदों और उपनिषदों में भी रिन्यूएबल एनर्जी यानी अक्षय ऊर्जा के उपयोग के संबंध में बताए गए उपायों को आज पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है। इसी उद्देश्य के साथ ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के मंत्र के साथ भारत ने गत वर्ष जी20 की सफल मेजबानी की थी, जिसमें यूरोपियन यूनियन और अफ्रीकन यूनियन सहित 100 से अधिक देशों ने भारत के सुझावों को स्वीकार उन्हें अपनाया है।

उप राष्ट्रपति ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को सुंदर विश्व देना हम सभी का दायित्व है। आज तक मानव जाति ने वैश्विक संपदा को जो नुकसान पहुंचाया है, उसे लेकर अब नागरिकों में जागरूकता फैल रही है। नतीजतन, धरती को बचाने के इस महायज्ञ में प्रत्येक नागरिक को अपनी आहुति देनी होगी और इसके लिए सभी को एक सैनिक की तरह काम करना होगा। नवीकरणीय ऊर्जा यानी रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में नवीकरणीय ऊर्जा केवल विकल्प ही नहीं, बल्कि मौजूदा समय की मांग भी है। क्योंकि, इसके साथ समग्र जीवसृष्टि का अस्तित्व जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत ने पर्यावरण का संरक्षण कर पूरी दुनिया को बचाने के लिए रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में वैश्विक महायज्ञ का आह्वान किया है। उन्होंने अनुरोध किया कि प्रत्येक नागरिक नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाकर इस महायज्ञ में अपनी आहुति दे।

गुजरात के गौरवशाली इतिहास को पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायी बताते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि एक समय था जब स्वतंत्रता प्राप्त करने की बड़ी चुनौती का सामना करने के लिए गुजरात की भूमि के दो सपूतों, महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने देश का नेतृत्व किया था। आज दुनिया को ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ जैसे एकता के प्रतीक की भेंट देने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व का पूरी दुनिया ने न केवल स्वागत किया है, बल्कि उनके सुझावों को स्वीकार भी किया है। उन्होंने कहा कि गुजरात की भूमि पर इन तीन दिनों के दौरान दुनिया भर के रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र के अग्रणियों द्वारा विचार-मंथन किया गया है।

इस ऐतिहासिक आयोजन में लगभग 250 से अधिक विषय विशेषज्ञ वक्ताओं और उतनी ही संख्या में डेलीगेट्स भी सहभागी हुए हैं। गुजरात में आयोजित इस कार्यक्रम में तीन दिनों के दौरान हजारों की संख्या में नागरिकों ने भी अपनी सहभागिता दर्ज कराई है, जो वास्तव में सराहनीय है। उप राष्ट्रपति ने ऐसे वैश्विक आयोजन के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री को बधाई दी।

री-इन्वेस्ट एग्जीबिशन में इस दुनिया को और अधिक जीने तथा रहने लायक स्थान बनाने के लिए वैश्विक स्तर के उपाय प्रदर्शित किए गए हैं, जिसमें 200 से अधिक कंपनियों ने हिस्सा लिया है। इसके अलावा, समिट के तीन दिनों के दौरान 500 से अधिक बीटूबी (बिजनेस टू बिजनेस) और बीटूजी (बिजनेस टू गवर्नमेंट) बैठकें भी आयोजित हुई हैं। जिसमें दुनिया भर के राजनयिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि नवीकरणीय ऊर्जा केवल विकल्प ही नहीं, बल्कि मानव जीवन के अस्तित्व के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए उप राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि री-इन्वेस्ट समिट रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र के विकास का एक शक्तिशाली माध्यम बनेगी।