सूरत : त्यौहारी सीजन में ट्रेडिशनल लहंगे की मांग अधिक

लहंगा के कारोबार में एम्ब्रोडरी की भूमिका महत्वपूर्ण 

सूरत : त्यौहारी सीजन में ट्रेडिशनल लहंगे की मांग अधिक

त्यौहारी सीजन में ट्रेडिशनल लहंगे की मांग अधिक रहती है। औद्योगिक नगरी सूरत में तैयार होने वाले लहंगे के कारोबार में यहां के एम्ब्रोडरी की भूमिका महत्वपूर्ण है, जो गुजरात के कच्छ यानी कच्छी वर्क के बाद सबसे खूब सूरत वर्क मानी जाती है। लहंगा -चोली ट्रेडिशनल एवं वेडिंग की मांग देश भर में हर समय बनी रहती है। छोटे बच्चियों से लेकर युवतियों में लहंगे की मांग अधिक रहती है। विशेष कर फेस्टिवल सीजन एवं वेडिंग यानी शादी के अवसरों पर अधिकांश महिलाओं की पहली पसंद लहंगा-चोली बन गई है। यही कारण है कि त्यौहारी सीजन और वेडिंग सीजन दोनों में मांग लहंगे की बनी रहती है।

वेडिंग में ब्राइडल में तैयार लहंगे की मांग अधिक : विवेक बाजारी

मिलेनियम मार्केट के व्यापारी विवेक बाजारी ने लोकतेज से बताया कि लहंगा, चड़िया चोली, लाचा यह एक ही है, लेकिन इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसकी मांग फेस्टिवल एवं वेडिंग सीजन दोनों में होती है। फेस्टिवल सीजन में फैंसी ट्रेडिशनल (एथेनिक) ड्रेस की मांग अधिक रहती है। जबकि इंगेजमेंट में साइडर और वेडिंग में ब्राइडल में तैयार लहंगे की मांग अधिक रहती है। हमारे यहां 600 से लेकर 8 से 10000 रुपये तक रेंज के लहंगे उपलब्ध हैं, जो देशभर की मंडियों में सप्लाई की जाती है। यही नहीं बल्कि विदेश के व्यापारी भी परचेस कर अपने स्तर से लेकर जाते हैं। अप्रत्यक्ष रुप से ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, साउथ अफ्रीका, नेपाल, भूटान, मॉरीशस आदि देशों में माल जाता है। आगामी दिनों में दीपावली पर्व एवं नवंबर-दिसंबर के बाद वर्ष 2025 में शादी की अच्छी मुहूर्त होने से लहंगे की डिमांड बने रहने के आसार हैं। 

हम क्वालिटी पर ध्यान देते हैं क्वांटिटी पर नहीं : जेठारामभाई

अवध टैक्सटाइल मार्केट में गौ माता टेक्सटाइल (a group of GMT ) के नाम से लहंगा और फैब्रिक्स का  कारोबार करने वाले जेठारामभाई ने लोकतेज से बताया कि कच्छी वर्क के बाद यदि सूरत में अच्छी डिजाइन होती है तो उसमें एंब्रॉयडरी की भूमिका महत्वपूर्ण है। यहां के लहंगे की मांग देश भर में हर सीजन में बनी रहती है। डोला सिल्क, बनारसी, प्योर लंगड़ा पट्टी सिल्क बेस में मिरर का वर्क कर लंहगा तैयार किया जाता है। यहां के लंहगे में घेरा 
अधिक होता है, बहुत ही खूबसूरती से एंब्रॉयडरी वर्क किया होता है। यही कारण है कि यहां के लहंगे की मांग बनी रहती है। उन्होंने बताया कि गार्लिश साइडर नेट में फैंसी टेस्ट हमारे यहां बनाए जाते हैं, जिनकी रेंज 2400 से लेकर 4000 रुपये तक की है। लहंगा बनाने की शुरुआत मई से ही शुरू हो जाती है। 

मई में कच्चा माल शुरू हो जाता है, जून में प्रक्रिया (प्रोसेस), जुलाई में सैंपलिंग के साथ जुलाई के अंत में पूरा लहंगा तैयार हो जाता है। अगस्त-सितंबर में पूरी ग्राहकी रहती है। सबसे ज्यादा लहंगे की मांग दिल्ली, जयपुर, बनारस, गोरखपुर, महाराष्ट्र के पुणे आदि में रहती है। जुलाई से सितंबर तक सभी जगह के व्यापारी सूरत विजिट करते हैं और फैंसी लहंगों  के साथ साथ साड़ी सूट सभी आइटम के नये सैंपल के माल के ऑर्डर बुक होते  हैं। उन्होंने बताया कि हम क्वालिटी पर ध्यान देते हैं क्वांटिटी पर नहीं। गुणवत्ता युक्त माल की खासियत यह है कि बाहर की मंडियो में भेजे जाने वाला माल वापस आने की संभावना नहीं रहती, यानी गुड्स रिटर्न बिल्कुल नहीं नहीं के बराबर है।

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