सूरत : किराये पर आरसीएम पद्धति जीएसटी वसूली के प्रावधान से कपड़ा मार्केटों में बढ़ सकता है दुकानों का भाड़ा!
जानें किस स्थिति में किरायेदार या संपत्ति मालिक की होगी जीएसटी चुकाने की जिम्मेदारी
संपत्ति भाड़े पर देने के बाद टैक्स नहीं भरने की बात सरकार के ध्यान में आने पर अब से संपत्ति भाड़े पर रखने वाले के पास से 18 प्रतिशत रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म (आरसीएम) वसूल करना तय किया गया है, जिससे संपत्ति भाड़े से रखने वालों पर अधिक आर्थिक बोझ पड़ने की बारी आई है। साथ ही जीएसटी में उन्हें अधिक क्रेडिट जमा रखने की भी संभावना रहेगी।
व्यापारी जीएसटी नंबर लेने के लिए भाड़े पर रखी संपत्ति का भाड़ा करार पेश करते हैं, परंतु उस पर चुकाए जाने वाले भाड़े की राशि पर टैक्स भरपाई नहीं करने की बात जीएसटी अधिकारियों के ध्यान में आई थी। जिसके आधार पर रिपोर्ट तैयार कर जीएसटी काउंसिल में पेश की गई। उसी रिपोर्ट के आधार पर जीएसटी काउंसिल की बैठक में संपत्ति भाड़े पर रखने वालों के पास से 18 प्रतिशत आरसीएम वसूल करने की घोषणा की गई है। जिसका सीधा असर भाड़े पर संपत्ति रखने वाले व्यापारी पर पड़ेगा। कारण कि अधिकांश व्यापारी संपत्ति भाड़े पर रखने के बाद उस पर टैक्स नहीं चुकाते थे। जानकारों के अनुसार अब 18 प्रतिशत आरसीएम भरने की स्थिति सर्जित होने से व्यापारी की पूंजी जीएसटी पोर्टल पर क्रेडिट के रूप में जमा रहने की संभावना है।
जीएसटी काउंसिल द्वारा किए गए इस निर्णय के कारण व्यापारियों की परेशानी में वृद्धि होने वाली है। कारण कि हाल में व्यापारियों की लाखों रुपए की क्रेडिट इलेक्ट्रॉनिक लेजर में जमा होने के बावजूद व्यापारी उसका उपयोग नहीं कर सकते हैं। जबकि भाड़ा की संपत्ति पर आरसीएम चुकाने के निर्णय के कारण अधिक क्रेडिट जमा होनी है। इस निर्णय से व्यापारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ने वाला है। इसके अलावा व्यापारियों द्वारा रिटर्न भरते समय भाड़ा की संपत्ति दर्शाकर उसका खर्च निकाल लेते थे। उस पर अब 18 प्रतिशत आरसीएम चुकाने को लेकर व्यापारी के पास जो नगद राशि बचती थी वह भी अब आरसीएम से होकर सरकार की तिजोरी में जमा होनी है। उल्लेखनीय है कि आरसीएम में तो सरकार ने नियम ही बनाया है कि व्यापारी के लेजर में रकम जमा होने के बावजूद उसका भुगतान तो नकद में ही करना पड़ेगा।
टेक्सटाइल मार्केट में तकरीबन 30 से 35 प्रतिशत दुकानें किराए पर
रिंग रोड स्थित टेक्सटाइल मार्केटों में अधिकांश दुकानें किराये पर हैं। सरकार द्वारा जारी किये गये जीएसटी के नये निय़म से किराए पर दुकान रखने वाले व्यापारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ना तय है। सूरत टेक्सटाइल मार्केट के प्रमुख हरबंसलाल अरोरा एवं नरेन्द्र साबू ने लोकतेज से बताया कि कोई निश्चित आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन सूरत टेक्सटाइल मार्केट में तकरीबन 40 से 50 प्रतिशत दुकानें किराए पर हैं। रघुकुल मार्केट के प्रमुख श्रवण मेंगोतिया एवं राजीव ओमर ने लोकतेज से बताया कि रघुकुल टेक्सटाइल मार्केट में तकरीबन 30 से 40 प्रतिशत दुकानें किराए पर हैं। सरकार द्वारा जीएसटी (आरसीएम) लागू किये जाने के बाद 20 प्रतिशत तो भाड़ा वैसे ही बढ़ जाएगा। टेक्सटाइल मार्केट की कुल मिलाकर तकरीबन 30 से 35 प्रतिशत दुकानें किराए पर होंगी। किसी मार्केट में अधिक दुकानें किराए पर है तो किसी मार्केट में कुछ कम हैं, लेकिन सभी मार्केटों में दुकानें किराए पर लेकर व्यापारी अपना कारोबार कर रहे हैं। सरकार के इस निर्णय से ऐसे व्यापारियों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा।
वाणिज्यिक संपत्ति के किराए के लिए जीएसटी की नई व्यवस्था : सीए पुनीत गर्ग
चार्टड एकाउंटेंट पुनीत गर्ग ने लोकतेज से बताया कि 9 सितंबर को जीएसटी परिषद की 54वीं बैठक के बाद की गई घोषणा के अनुसार, जो वाणिज्यिक संपत्तियों के मालिक जीएसटी में पंजीकृत नहीं हैं और उस संपत्ति को किसी ऐसे व्यक्ति को किराए पर देते हैं जो जीएसटी में पंजीकृत है, उन संपत्तियों के किराए पर जीएसटी का भुगतान रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म (आरसीएम) के तहत होगा, यानी कि किरायेदार को जीएसटी का नकद भुगतान करना होगा। इससे पहले, ऐसी स्थितियों में जीएसटी लागू नहीं होती थी। यदि मालिक एक पंजीकृत इकाई था, तो उसे 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना पड़ता था। यह महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव जीएसटी भुगतान की जिम्मेदारी किरायेदारों पर डालता है, जिससे सरकार की जीएसटी संग्रहण क्षमता बढ़ती है।
वाणिज्यिक संपत्ति के किराए पर जीएसटी आरसीएम के प्रभाव
1. यदि किरायेदार और मालिक दोनों जीएसटी के तहत पंजीकृत नहीं हैं, तो जीएसटी लागू नहीं होगी।
2. यदि किरायेदार और मालिक दोनों जीएसटी के तहत पंजीकृत हैं, तो जीएसटी भरना संपत्ति के मालिक की जिम्मेदारी होगी।
3. यदि किरायेदार पंजीकृत नहीं है और मालिक जीएसटी के तहत पंजीकृत है, तो जीएसटी भरना संपत्ति के मालिक की जिम्मेदारी होगी।
4. यदि किरायेदार जीएसटी के तहत पंजीकृत है और मालिक जीएसटी के तहत पंजीकृत नहीं है, तो जीएसटी आरसीएम के आधार पर लागू होगी और किरायेदार को किराये पर 18 प्रतिशत जीएसटी का नकद भुगतान करना होगा।
गौर करने योग्य बात है कि यह नया कानून अधिसूचना के जारी होते ही लागू हो जाएगा।