सूरत : नवजात शिशुओं के जीवनरक्षा पर जोर, "फर्स्ट ब्रीथ" वर्कशॉप आयोजित
गोल्डन मिनट: हर सेकंड कीमती, नवजात शिशुओं के लिए जीवन का पहला सांस लेना
सूरत। सूरत में नवजात शिशुओं के जीवनरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। सूरत पीडियाट्रिक्स एसोसिएशन चैरिटेबल ट्रस्ट ने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और स्मीमेर अस्पताल के छात्रों के लिए "फर्स्ट ब्रीथ" वर्कशॉप आयोजित की। इस वर्कशॉप का उद्देश्य नवजात शिशुओं की देखभाल और पुनर्जीवन तकनीकों के बारे में छात्रों को प्रशिक्षित करना था।
इस वर्कशॉप में प्रतिष्ठित बाल रोग विशेषज्ञों डॉ. प्रशांत कारिया ( इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के राष्ट्रीय प्रवक्ता ), डॉ. प्रफुल बाम्भरोलिया, डॉ. अश्विनी शाह, डॉ. केयूरी शाह, डॉ. हितेश पटेल, डॉ. हितेश शिंदे, डॉ. दर्शक माकड़िया, डॉ. उपेंद्र चौधरी, डॉ. अंकुर चौधरी, डॉ. ट्विंकल पटेल ने भाग लिया।
बाल रोग विशेषज्ञों ने छात्रों को बताया कि जन्म के बाद के पहले 60 सेकंड, जिसे "गोल्डन मिनट" कहा जाता है, नवजात शिशु के जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान, एक रोचक गतिविधि के माध्यम से डॉक्टरों ने छात्रों को समझाया कि नवजात शिशु को सांस लेने में होने वाली दिक्कत का अहसास कैसा होता है।
डॉ. प्रशांत कारिया, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने बताया कि 90 प्रतिशत नवजात शिशु जन्म के तुरंत बाद रोते हैं और श्वास लेते हैं, लेकिन शेष 10 प्रतिशत के लिए शुरुआती कदम बेहद जरूरी होते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर नवजात शिशु जन्म के समय सांस नहीं लेता है, तो मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी से गंभीर नुकसान हो सकता है।
इस वर्कशॉप में छात्रों को नवजात पुनर्जीवन के व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। यह पहल नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह सुनिश्चित करेगी कि हर नवजात शिशु को जीवन की एक स्वस्थ शुरुआत मिले।