सूरत : सभी प्रकार के रॉ मटिरियल की उपलब्धता के बावजूद गारमेन्ट इंडस्ट्रीज में भारत बांग्लादेश से पीछे!

देश को गारमेन्ट हब बनाने के लिए सरकार को विशेष ध्यान देने के जरुरत 

सूरत : सभी प्रकार के रॉ मटिरियल की उपलब्धता के बावजूद गारमेन्ट इंडस्ट्रीज में भारत बांग्लादेश से पीछे!

टेक्सटाइल क्षेत्र में भारत खूब प्रगति कर रहा है। पूर्व में पॉलिस्टर बेस कपड़े ही तैयार किए जाते थे, लेकिन अब सूरत के अलावा देश के विभिन्न शहरों की टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज में पॉलिस्टर, कॉटन, विस्कॉस, लाइक्रा सहित अनेक प्रकार के यार्न तैयार किए जाते हैं। इस यार्न से शूटिंग, शर्टिंग, साड़ी, चद्दर, अस्पताल, वाहनों, जूतों में उपयोग में लिये जाने वाले कपड़े, बैग आदि तैयार किये जाते हैं। इसके अलावा सभी प्रकार के रॉ मैटेरियल उपलब्ध होने के बावजूद हमारा देश गारमेंट इंडस्ट्रीज में बांग्लादेश जैसे छोटे देश से पीछे है। किसी भी उद्योग के लिए सरकार की नीतियां कारगर साबित होती हैं। सरकार की सरल नीतियों के कारण बांग्लादेश गारमेंट इंडस्ट्री में बहुत आगे निकल गया, यानी हमारा देश भारत उससे पीछे रह गया। आज बांग्लादेश में जो अस्थिरता है उसका लाभ कंबोडिया, वियतनाम एवं श्रीलंका जैसे देश उठा रहे हैं। यदि सरकार टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के कुछ बिन्दुओं पर ध्यान देती है तो हमारा देश गारमेंट क्षेत्र में भी अग्र भूमिका निभा सकता है। इस संदर्भ में व्यापारी अग्रणियों ने गारमेन्ट इंडस्ट्रीज को प्रोत्साहन के लिए सरकार के समक्ष विविध मांगें रखी हैं। 

अपने कपड़े और परिधान उद्योगों को समर्थन देने के लिए बांग्लादेश में एक व्यापार सुविधा प्रणाली है जो व्यवसायों को अग्रिम शुल्क का भुगतान किए बिना माल आयात करने की अनुमति देती है, बशर्ते कि माल बाद में मूल्य संवर्धन के बाद निर्यात किया जाए। यह पासबुक प्रणाली सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि निर्यातकों के लिए अग्रिम लागत को कम करके इन आयातों को कुशलतापूर्वक किया जा सके। इस प्रकार यह कपड़ा और परिधान क्षेत्र जैसे निर्यात-उन्मुख उद्योगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। बांग्लादेश विभिन्न कच्चे माल, विशेष रूप से यार्न और कपड़े का आयात करता है। उपलब्ध व्यापार डेटा के अनुसार, बांग्लादेश ने 2023 में क्रमशः 2.23 यूएस बिलियन डॉलर और 7.92 यूएस बिलियन डॉलर के विभिन्न यार्न और कपड़े का आयात किया। 

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परिधानों के निर्यात पर ड्यूटी ड्रॉ बैक योजना का लाभ बढ़ाए सरकार : गिरधर गोपाल मूंदड़ा

प्रबुद्ध उद्योगपति एवं जीएफआरसीसी (चैंबर) के चेयरमैन गिरधर गोपाल मूंदड़ा ने लोकतेज को बताया कि भारत को गारमेन्ट हब बनाने के लिए सरकार को विशेष ध्यान देने की जरुरत है। भारत सरकार परिधानों के निर्यात पर ड्यूटी ड्रॉ बैक योजना का लाभ बढ़ाए और 15-20 दिनों के भीतर विदेशी खरीदारों के साथ बी2बी मीटिंग आयोजित करे। अमेरिका और अन्य विकसित देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेन्ट (एफटीए) को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। फैशन और जीवनशैली पर विश्वसनीय बाजार जानकारी प्रदान की जाए। 

इसके अलावा भारत के विभिन्न कपड़ा क्लस्टरों में कपड़े के प्रसंस्करण के साथ बुनाई की सुविधाओं वाले एकीकृत परिधान पार्क स्थापित करने की आवश्यकता है। साथ ही कच्चे माल के आयात के लिए अग्रिम प्राधिकरण लाइसेंस नीति बांग्लादेश नीति के समान होनी चाहिए। एमएमएफ परिधानों के निर्यात में प्रमुख योगदान देता है, एमएमएफ कच्चा माल वैश्विक प्रतिस्पर्धी मूल्य पर उपलब्ध होना चाहिए। परिधान उद्योग के लिए कौशल विकास कार्यक्रम को युद्ध स्तर पर लागू किया जाना चाहिए। परिधान उद्योग के लिए विशेष रूप से रोजगार प्रोत्साहन प्रदान करें। इन सब पर सरकार के ध्यान देने के बाद भारत तेजी से गारमेन्ट हब बनने की दिशा में बढे़गा। 

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