सूरत : भारतीय संस्कृति के अनुरूप सार्वजनिक गणेश उत्सव का करें आयोजन 

समाज को धार्मिक भक्ति से राष्ट्रभक्ति की ओर ले जाने के लिए श्री गणेश उत्सव समिति सूरत शहर प्रतिबद्ध

सूरत : भारतीय संस्कृति के अनुरूप सार्वजनिक गणेश उत्सव का करें आयोजन 

 हिंदू संस्कृति दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृति है। सबसे प्राचीन कालखंड के प्रत्येक युगों में हिंदुस्तान की भूमि पर भगवान अवतरित हुए हैं। दुनिया के अनेक देशों ने प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से भारत की संस्कृति को नष्ट करने के प्रयत्न के बीच आज भी हिंदू संस्कृति आध्यात्मिक ताकत एवं भव्याति भव्य परंपरा के आधार से ही धर्म टिकी हुई है। सूरत शहर में भारत सेवा श्रम संघ (हिंदू मिलन मंदिर) गोपीपुरा में 1942 में सार्वजनिक श्री गणेश उत्सव की शुरुआत हुई थी। आजादी मिलने के बाद सार्वजनिक रूप से मनाये जाने वाले श्री गणेश उत्सव समिति में अनेक दूषण बढ़ते गए हैं, जिसके कारण भारत सेवा श्रम संघ (हिंदू मिलन मंदिर) गोपीपुरा में 1988 में संतों-महंतों के मार्गदर्शन के तहत सूरत शहर गणेश उत्सव समिति की स्थापना की गई, जो हाल में गणेश उत्सव समिति सूरत शहर के नाम से मुख्य कार्यालय गोपीपुरा में पिछले 35 वर्षों से कार्यरत होकर श्री गणेश उत्सव संपूर्ण धार्मिकता से आयोजन करने की निगरानी रख रही है। 

आगामी 7 सितंबर से प्रारंभ हो रहे गणेशोत्सव के बारे में जानकारी देते हुए गणेश उत्सव समिति के अंबरीशानंदजी महाराज ने श्री गणेशोत्सव आयोजक मंडलों से प्रत्येक सोसायटी एवं मोहल्ले में एक ही मूर्ति स्थापना करने की अपील की है। साथ ही खाद्य पदार्थ या कोई भी वस्तु श्री गणेश जी की मूर्ति के ऊपर ना रखे कारण कि यह शास्त्र विरुद्ध है। आयोजकों को श्री गणेश जी मूर्ति स्थापना हिंदू धर्माचार्यों की अपील के अनुसार मिट्टी की मूर्ति की ही करें।  साथ ही पुलिस कमिश्नर की अधिसूचना के अनुसार मूर्ति की स्थापना करें। प्रत्येक श्री गणेश स्थापक, आयोजक मंडल अपने मोहल्ले, सोसाइटी में कम से कम दो व्यक्तियों के शैक्षणिक, मेडिकल एवं सामाजिक उत्कर्ष के लिए अपने मंडल के फंड से सहायता करें।

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा रचित सार्वजनिक गणेश उत्सव से लोगों में राष्ट्रीय एकता, धार्मिकता, शौर्य एवं वीरता विकसित हो ऐसी  रचनात्मक प्रवृत्ति करना चाहिए। आयोजकों को भजन, कीर्तन, नाटक, योग, खेलकूद, चित्र प्रतियोगिता, रामायण-महाभारत की वार्ता-स्पर्धा, गीता के श्लोक की प्रतियोगिता आदि करना चाहिए। श्री गणेश जी की शोभायात्रा, विसर्जन यात्रा, स्थापना के दिन फिल्मी गीत नहीं केवल धार्मिक एवं देशभक्ति के गीत ही बजाएं। स्थापना मंडप में श्री गणेश जी की सुबह-शाम नियमित रुप से समूह में पूजा आरती किया जाए। गणेश स्थापना से विसर्जन तक एक व्यक्ति की मूर्ति की सुरक्षा एवं देखरेख की जवाबदारी तय किया जाए। गणेश मंडप में सुबह 9 से दोपहर 12 बजे एवं शाम 4 से रात्रि 10 बजे तक ही माइक चालू रखें। माइक पर से धार्मिक भजन एवं लोकगीत ही बजाएं, कोई भी फिल्मी गीत या विभत्स गाने ना बजाए। गणेश मंडप ट्रैफिक के अवरोध रूप ना हो इसे ध्यान में रखकर बनाएं। 

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