सूरत : अब बाहर की मंडियों में भी गूंजने लगा है पार्सल के वजन का मुद्दा 

जब हर जगह से 80 से 90 किलो के पार्सल आते हैं तो सूरत से क्यों नहीं?

सूरत : अब बाहर की मंडियों में भी गूंजने लगा है पार्सल के वजन का मुद्दा 

सूरत गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने 65 किलो तक के पार्सल उठाने की घोषणा की है, इसका अमल आगामी 1 सितंबर 2024 से किया जाएगा। ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की इस घोषणा के बाद सूरत के कपड़ा कारोबारी 70 से 75 किलो करने की मांग कर रहे हैं। सूरत के विविध कपड़ा मार्केट में चल रहे पार्सल का मुद्दा अब बाहर की मंडियों में भी गूंजने लगा है। उत्तर प्रदेश के कानपुर एवं मध्यप्रदेश के कटनी मंडी के कपड़ा कारोबारियों ने पार्सल के वजन के मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रया व्यक्त की।

कानपुर मंडी के कपड़ा कारोबारी अमित गुप्ता ने बताया कि आज के समय में कम्पीटीशन का कारोबार है, वैसे भी सूरत मंडी का भाड़ा अन्य मंडियों की अपेक्षा अधिक है। राजस्थान के बालोतरा, पाली आदि मंडियों से 80 से 100 किलो तक की पापलीन के गांठें आती हैं। प्रत्येक गांठ में 40 थान होते हैं जिनमें प्रत्येक थान का वजन दो से ढाई किलो तक होते हैं। ऐसे में यदि 65 किलो का पार्सल होता है तो सूरत का भाड़ा अधिक होगा जो गलत है। रही बात की लेबर के उठाने की तो यह आज की बात नहीं है शुरू से यह परंपरा चली आ रही है। जब दूसरी मंडियों में 100 किलो तक के पार्सल श्रमयोगी उठा रहे हैं तो सूरत में क्यों नहीं। व्यापार का एक तरीका होता है, अनाज मंडी में देखें तो 100 किलो की बोरी भी रहती है और वहां सब उठाई जाती हैं। 

...तो हम ट्रावेल्स-ट्रेन की ओर रुख करेंगे  : अमित गुप्ता

कानपुर मंडी के कपड़ा कारोबारी अमित गुप्ता ने बताया कि यदि सूरत ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन 65 किलो पर अडिग रहता है तो मजबूरन हमें और दूसरा कोई विकल्प देखना होगा। आप और किन विकल्प पर विचार कर रहे हैं? का जवाब देते हुए अमित गुप्ता ने बताया कि हाल के दिनों में लक्जरी बसों का भी आवागमन सुचारु रुप से होने लगा है और ट्रेन के माध्यम से भी पार्सलों की ढुलाई सरलता पूर्वक होने लगी है। ऐसे में बाध्य होकर हम ट्रावेल्स एवं ट्रेन आदि की ओर रुख करेंगे। अमित गुप्ता ने कहा कि ट्रावेल्स से कोई भी पार्सल 425 रुपये में दुकान पर पहुंच जाता है, जबकि ट्रांसपोर्ट से आने वाला पार्सल 600 रुपये में दुकान पर पहुंचता है। अब पार्सल का वजन कम होने से यह चार्ज और भी बढ़ जाएगा। आज के प्रतिस्पर्धा के दौर में खर्च में कटौती करके ही व्यापार में स्थिरता लाया जा सकता है। 

पार्सल का वजन कम करने से सूरत मंडी का कास्ट बढ़ जाएगा  : जवाहरलाल जसूजा

मध्य प्रदेश के कटनी मंडी के कपड़ा व्यापारी जवाहरलाल जसूजा ने बताया कि सूरत के अलावा मुंबई, बालोतरा, पाली आदि से 80 किलो से अधिक के पार्सल आते हैं और उसके चार्ज भी सूरत की अपेक्षा कम पड़ते तो फिर सूरत के ट्रांसपोर्ट को क्या दिक्कत है। आज के प्रतिस्पर्धा के दौर में व्यापारियों की अनेक समस्याएं है उसे सभी संगठनों को समझना होगा। सूरत का कारोबार 99 प्रतिशत एक नंबर में होने लगा है। अगर पार्सल का वजन 65 किलो तक करते हैं तो पार्स्ल का कास्ट और बढ़ जाएगा। परिणाम स्वरुप आज के कंपटीशन के दौर में व्यापारिक दृष्टि से टिक पाना मुश्किल होगा। हाल के दिनों में  डीजल आदि के दर भी स्थिर हैं तो पार्सल का मुद्दा लेकर क्यों चल रहे हैं, इससे सूरत मंडी का कपड़ा महंगा होने से व्यापार प्रभावित होगा। 

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