बांग्लादेश में अस्थिरता रही तो भारत के गारमेंट उद्योग को होगा लाभ : कपड़ा उद्यमी धवल मेहता

बांग्लादेश में अस्थिरता रही तो भारत के गारमेंट उद्योग को होगा लाभ : कपड़ा उद्यमी धवल मेहता

एक होता है शौक की खरीदी और दूसरी होती है जरूरत की खरीदी। शौक की खरीदी में ग्राहक पसंद आने पर एक के बदले दो या तीन भी खरीद लेता था। लेकिन आज के माहौल में सिर्फ जरूरत की वस्तुओं की ही खरीदी कर रहा है। यह कहना है सूरत के कपड़ा कारोबारी लाडो डिजाइन स्टूडियो के संचालक धवल मेहता का। हाल के दिनों में बांग्लादेश में चल रहे आंदोलन के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब का देते हुए धवल मेहता ने कहा कि यदि लंबे समय तक बांग्लादेश में अस्थिरता रहती है तो इसका भारत के गारमेंट्स इंडस्ट्रीज को लाभ होगा।  

धवल मेहता कहते हैं कि नोटबंदी के बाद से ही शौक की खरीदी लगभग बंद हो गई है। इसका मुख्य कारण शत प्रतिशत व्हाइट में लेन-देन होना है। इसका प्रभाव महिलाओं के पॉकेट पर भी पड़ा है। महिलाएं पहले नकद आसानी से निकाल लेती थी और उससे अपने मनपसंद वस्तुओं की खरीदी करती थी। लेकिन जब से नेट बैंकिंग, गूगल पे आदि लागू हुए हैं तब से जरूरत की ही वस्तुएं खरीद पा रही हैं। जीएसटी के बाद भी गारमेंट्स की खरीदी पर काफी प्रभाव पड़ा है। जीएसटी के बाद कपड़ों सहित वस्तुओं के दर भी काफी बढ़ गये थे। इसके बाद एमएसएमई के कारण भी काफी छोटी-मोटी इंडस्ट्रीज बंद हो गई हैं। इससे भी काफी प्रतिकुल प्रभाव रहा है। लेकिन इन सब के बावजूद भी गारमेंट इंडस्ट्रीज अब धीरे-धीरे लाइन पर आने लगी है। 

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