नवाचार और शोध में गुजरात की उड़ान, 4 साल में 952 पेटेंट हासिल किए

नवाचार और शोध में गुजरात की उड़ान, 4 साल में 952 पेटेंट हासिल किए

2020 से 2023 तक अहमदाबाद के 372 और वडोदरा के 146 वैज्ञानिकों और इंजनियरों की शोध को मिला पेटेंट

अहमदाबाद, 24 जून (हि.स.)। गुजरात में कार्यरत विभिन्न केन्द्रीय और राज्य सरकार की शोध संस्थाओं समेत विश्वविद्यालय में नवाचार व शोध के लिए अनुकूल वातावरण के कारण पिछले 4 साल में गुजरात ने अपने नाम 952 पेटेंट कराए हैं। पेटेंट हासिल करने में अहमदाबाद और वडोदरा के शोध विद्यार्थी अव्वल हैं।

पेटेंट यानी वैज्ञानिकों, इंजीनियरों की रचनात्मकता, बुद्धि, योग्यता और मेहतन के जरिए जो नवाचार शोध होता है, उस पर सरकार की ओर से कानूनी तौर पर संरक्षित एकाधिकार प्रदान किया जाता है। इस तरह हासिल किया गया पेटेंट उसके शोधकर्ता की मंजूरी के बगैर उपयोग नहीं किया जा सकता है। ऐसे शोध के अनधिकृत उपयोग के विरुद्ध कानूनी रूप से सुरक्षा प्रदान की जाती है। पिछले कुछ वर्षों में गुजरात में संचालित स्टार्टअप्स, विश्वविद्यालयों में अनुसंधान गतिविधियों के लिए विशेष अनुदान के अलावा, पीएम फेलोशिप जैसी सरकार प्रेरित योजनाएं और संस्थागत मदद के कारण विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए पेटेंट की संख्या में वृद्धि हुई है। यह मामला विद्यार्थियों की बुद्धिमत्ता के माप से भी जुड़ा है। एक विश्वविद्यालय ने कितने पेटेंट प्राप्त किए हैं, यह संस्थान की शैक्षिक गुणवत्ता का एक माप भी है।

वडोदरा के शोधकर्ताओं द्वारा प्राप्त पेटेंट की संख्या के अनुसार, 2020 में 62, 2021 में 44, 2022 में 36, 2023 में 4 पेटेंट प्राप्त हुए हैं। इसी तरह अहमदाबाद में वर्ष 2020 में 122 पेटेंट, 2021 में 113, 2022 में 117, 2023 में 20 पेटेंट अहमदाबाद के शोधकर्ताओं को दिए गए हैं। यदि वर्ष 2020 से 2023 तक गुजरात में पंजीकृत पेटेंट की कुल संख्या को देखें, तो क्रमशः 266, 237, 200 और 49 पेटेंट दिए गए हैं। इन चार वर्षों में गुजरात के कुल 952 शोधों को पेटेंट मिला है। रोचक बात है कि पेटेंट सिर्फ महानगरों में दर्ज होता हो, ऐसी बात नहीं है। आदिवासी बाहुल्य जिला पंचमहाल की शेहरा तहसील के भेसल गांव के सोमाभाई परमार जैसे सामान्य व्यक्ति के नाम भी पशु चिकित्सा की प्रक्रिया के संबंध में पेटेंट है।

गुजरात में रसायन, दवा, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रकल इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल, कम्प्यूटर साइंस जैसे क्षेत्रों में काफी शोध हुए हैं। इन चार वर्ष के दौरान हुए शोध में ट्रांसपरेंट स्मार्ट फोन वीथ ओपेक मोड भी है। इसके अलावा सेंसर ड्रिवन रेड सिग्नल यूजिंग कैमरा, क्राइम सीन मैनेजमेंट बाइ रोवर रोबोट, एआई के जरिए बड़े डेटा का विश्लेषण कर हार्ट अटैक की आशंका दर्शाने के लिए पायथन आधारित काम, सॉफ्टवेयर टेस्टिंग के लिए एआई, सोलर पैनल सफाई के लिए रोबोट, वेस्ट मैनेजमेंट, इन्टरेक्टिव स्मार्ट मिरर, इवी चार्जिंग के समय कितनी बैटरी का उपयोग करता है, यह बताने के लिए यंत्र आदि शोध लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं। विद्युत और यांत्रिक क्षेत्रों में अनुसंधान मुख्य रूप से उन प्रक्रियाओं से संबंधित हैं, जो मशीनों के संचालन को सुविधाजनक बनाती हैं। इसके अलावा रासायनिक प्रक्रिया में नवीन तरीकों का भी आविष्कार किया गया है।

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