सूरत : उधना रेलवे स्टेशन पर यूपी-बिहार के यात्रियों का हाल बेहाल

गर्मी की छुट्टियों में घर जाने के लिए ट्रेनों की कमी, अव्यवस्था से यात्री परेशान, अधिकारी ने बताया भीड़ प्रबंधन

 सूरत :  उधना रेलवे स्टेशन पर यूपी-बिहार के यात्रियों का हाल बेहाल

सूरत : रोजगार की तलाश में सूरत आए उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के लोग ट्रेनों की भारी कमी के चलते गर्मी की छुट्टियों में अपने गृहनगर जाने के लिए जानवरों जैसी स्थिति में यात्रा करने को मजबूर हैं। उत्तर प्रदेश जाने वाली अंत्योदय एक्सप्रेस के अनारक्षित डिब्बों में तिल रखने तक की जगह नहीं है। वहीं, टिकट खरीदने के लिए यात्रियों को 12 घंटे तक लंबी कतारों में खड़े रहना पड़ रहा है, जिसमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं।

उधना रेलवे स्टेशन पर डेढ़ किलोमीटर से भी लंबी टिकट लाइन पार करने के बाद जब यात्री टिकट काउंटर पर पहुंचते हैं, तो उन्हें अक्सर काउंटर बंद मिलता है। कई यात्री ट्रेन छूटने के डर से अपना सामान सिर पर उठाकर जान जोखिम में डालकर भागते हुए देखे गए।

व्यवस्था से आजिज आए एक यात्री ने अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा, "यहां कोई प्रबंधन नहीं है। पुलिस लाठियां भांज रही है। टिकट के लिए घंटों कतारें लगी रहती हैं, तो ट्रेन में क्या स्थिति होगी? बच्चे और बुजुर्ग सहित सभी लोग चिंतित हो रहे हैं।"

रेलवे की लचर व्यवस्था से परेशान यात्री ने बताया, "मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं है। मुझे गांव जाना है, लेकिन टिकट नहीं मिल रहा है। मैं सुबह 5 बजे पहुंची, लेकिन टिकट के लिए वहां लंबी लाइन थी। टिकट काउंटर पर भी बताया गया कि फिलहाल कोई टिकट उपलब्ध नहीं है। मैंने अपनी मां की खराब तबीयत का हवाला दिया, लेकिन फिर भी मुझे टिकट नहीं दिया गया।"

एक अन्य यात्री जिसे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जाना है, ने कहा, "घर में शादी है। यह टिकट के लिए एक लंबी लाइन है, जिसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। लाइन में खड़े हुए तीन घंटे हो गए हैं। यह तो सिर्फ टिकट के लिए लाइन है, फिर आपको प्लेटफॉर्म तक पहुंचने के लिए भी लाइन में खड़ा होना पड़ेगा। टिकट काउंटर भी बंद कर दिए गए हैं। सरकार यहां अधिक सुविधाएं प्रदान करे। टिकटें कालाबाजारी में बिक रही हैं, इसलिए हमें नहीं मिलतीं।"

एक अन्य यात्री ने बताया कि टिकट उपलब्ध ही नहीं हैं। "मैं सुबह तीन बजे से टिकट लाइन में खड़ा हूं। अभी वे कह रहे हैं कि ट्रेन पूरी भरी हुई है। मैं अपने परिवार के साथ टिकट खरीदने आया था। यही समस्या हर साल होती है। दो दिन पहले भी मैं इसी तरह टिकट के लिए खड़ा था, लेकिन मुझे टिकट नहीं मिला। आज भी टिकट नहीं मिला।"

व्यवस्था के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए सुधीरभाई ने कहा, "इस लाइन में पिछले चार घंटे से टिकट के लिए इंतजार कर रहा हूं। न कोई प्रबंधन है, न कोई सुविधा। सिस्टम कुछ भी नहीं कर रहा है। अभी तो सिर्फ टिकट की लाइन है, ट्रेन के लिए कितनी लाइनें होंगी, यह नहीं कहा जा सकता। वहां कोई स्टेशन मास्टर नहीं है, कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है। पुलिस लोगों को मार रही है। यह लाइन डेढ़ किलोमीटर लंबी होगी। टिकट मिलने के बाद आपको प्लेटफॉर्म पर जाना होगा और ट्रेन में चढ़ने के लिए अलग लाइन होगी। मैं खुद दो घंटे से खड़ा हूं।"

इस मामले पर पश्चिम रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में वहां भीड़ प्रबंधन किया जा रहा है, ताकि प्लेटफॉर्म पर अत्यधिक भीड़ के कारण लोगों को परेशानी न हो। लोगों को इसकी जानकारी देने के लिए अतिरिक्त रेलगाड़ियां भी चलाई जा रही हैं और विज्ञापन भी दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भीड़ प्रबंधन के कारण लोगों को लाइन लंबी लग रही है, लेकिन एक साथ बड़ी भीड़ को इकट्ठा होने से रोकने के लिए लोगों को कतार में खड़ा रखा जा रहा है।