सूरत : ब्रेन-डेड किशोर के अंगदान से चार बच्चों को मिला नया जीवन
न्यू सिविल अस्पताल में 65वां सफल अंगदान, राजपूत परिवार ने दिखाई मानवीय संवेदना
सूरत। सूरत के न्यू सिविल अस्पताल में 65वां सफल अंगदान दर्ज हुआ है। इस बार वलसाड जिले के संजन गांव निवासी एक 15 वर्षीय ब्रेन-डेड पुत्र रोहित राजपूत के अंगदान ने चार बच्चों को नई जिंदगी देने का मार्ग प्रशस्त किया है। रोहित का हृदय, अग्न्याशय, यकृत और दोनों गुर्दे दान किए गए।
घटना की शुरुआत 20 अप्रैल को हुई जब रोहित मुंबई के दहानु से घर लौटते समय सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया। शुरुआती इलाज के बाद उसे सूरत सिविल अस्पताल लाया गया, जहां तीन दिनों के गहन उपचार के बाद 24 अप्रैल को डॉक्टरों की टीम ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
परिवार की सहमति से अंगदान की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई। डॉ. केतन नायक, डॉ. नीलेश काछड़िया, गुजरात नर्सिंग काउंसिल के उपाध्यक्ष इकबाल कड़ीवाला और काउंसलर निर्मला काछड़ की टीम ने रोहित के माता-पिता को अंगदान के महत्व को समझाया। माता मंजूबेन और पिता संजयभाई राजपूत ने दुःख की इस घड़ी में भी साहसी निर्णय लेकर अपने बेटे के अंगों को दान करने की सहमति दी।
अंगों का वितरण इस प्रकार हुआ। हृदय : बी.डी. मेहता महावीर अस्पताल, सूरत और अग्न्याशय, यकृत और दोनों गुर्दे : आईकेडी, अस्पताल अहमदाबाद को दान किए गए।
इस प्रक्रिया में सिविल अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. धारित्री परमार के मार्गदर्शन में पूरी चिकित्सा और नर्सिंग टीम, सुरक्षा एवं सफाई कर्मचारी, और स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अग्न्याशय का दान : टाइप 1 मधुमेह रोगियों के लिए वरदान
विशेष रूप से अग्न्याशय का दान, भारत में दुर्लभ माना जाता है। यह टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित उन मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है, जो इंसुलिन बनाने की प्राकृतिक क्षमता खो चुके होते हैं। अग्न्याशय प्रत्यारोपण उनके जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार ला सकता है।
रोहित राजपूत के परिजनों का यह अंगदान का निर्णय, न केवल चार जरूरतमंद बच्चों को जीवनदान देने वाला बना, बल्कि समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता का भी प्रेरणास्रोत बना। न्यू सिविल अस्पताल द्वारा किया गया यह 65वां अंगदान, मानवीयता और चिकित्सकीय सफलता का प्रतीक बनकर सामने आया है।