सूरत : उम्बेर गांव में “परित्राण गुरुकुलम” के शुभारंभ और विश्व के पहले शस्त्रेश्वर महादेव मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन
गरीब और अनाथ बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, शस्त्र और शास्त्र का संगम, तीन दिवसीय आयोजन में संत, शिक्षाविद और समाजसेवी लेंगे भाग
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सूरत। भारतीय परंपरा और वैदिक शिक्षा को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। सूरत में सचिन के समीप उम्बेर गांव में 18 से 20 अप्रैल तक तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव और "परित्राण गुरुकुलम" के उद्घाटन समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
इस गुरुकुल की विशेषता यह है कि यह विश्व का पहला ऐसा संस्थान होगा जहां शस्त्र, शास्त्र, आयुर्वेद और आधुनिक शिक्षा का अनूठा संगम देखने को मिलेगा।
इस कार्यक्रम में शस्त्रेश्वर महादेव मंदिर में पंचदेवों के साथ शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। साथ ही गुरुकुल परिसर में आधुनिक शिक्षा प्रणाली, आत्मरक्षा प्रशिक्षण, आयुर्वेद, भारतीय भाषाएं और विदेशी भाषाओं की पढ़ाई भी करवाई जाएगी।
संस्था के संस्थापक आचार्य विवेक ऋषि ने बताया कि गुरुकुलम की स्थापना का उद्देश्य गरीब, वंचित और अनाथ बच्चों को पूर्णतः निःशुल्क शिक्षा, आवास और भोजन की सुविधा देना है। उन्होंने कहा "हमारे ऋषि-मुनियों की परंपरा में राजा और आमजन के बच्चे एक ही गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करते थे। यही परंपरा फिर से शुरू की जा रही है।"
उन्होंने यह भी बताया कि गुरुकुलम में 64 पारंपरिक कलाओं के साथ-साथ विज्ञान, तकनीक और वैश्विक ज्ञान को भी पढ़ाया जाएगा, जिससे छात्र भारतीय मूल्यों के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने योग्य बन सकें।
श्रद्धा गुरुमा, जो इस आयोजन की प्रमुख समन्वयक हैं, ने बताया कि बेटियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना इस गुरुकुल की प्राथमिकता है। अब तक चार लाख से अधिक लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा चुका है और आने वाले वर्षों में हजारों बच्चों को गुरुकुल में प्रवेश दिया जाएगा।
इस तीन दिवसीय आयोजन में संतों, राजनीतिक नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों, शिक्षाविदों, समाजसेवियों और धर्म प्रेमियों का आगमन होगा। 20 अप्रैल को शाम 4 बजे स्वागत समारोह के साथ समापन किया जाएगा। आयोजन के दौरान तीन दिन तक महाप्रसाद की व्यवस्था भी की गई है।
गुरुकुल की आगे की योजना में उत्तराखंड, सौराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी इसकी शाखाएं स्थापित करने का लक्ष्य है। यह पहल न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांति है, बल्कि भारत को पुनः “विश्वगुरु” बनाने की दिशा में एक सशक्त प्रयास भी है।