ट्रंप चीन को झुकाना चाहते हैं, लेकिन जिनपिंग हैं कि झुकने को तैयार नहीं
वॉशिंगटन, 12 अप्रैल (वेब वार्ता)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन को झुकाना चाहते हैं, लेकिन जिनपिंग हैं कि झुकने को तैयार नहीं। रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने अपनी टीम को साफ कह दिया है कि पहला कदम चीन को उठाना होगा। अमेरिका का मानना है कि चीन ने ही जवाबी कार्रवाई करके इस जंग को और भड़काया है।
ट्रंप चाहते हैं कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग खुद फोन करें और बातचीत की शुरुआत करें। दो महीने पहले ही चीन को अमेरिका ने ऐसा करने के लिए कहा था, लेकिन चीन ने बार-बार इस तरह की कॉल करने से इनकार कर दिया है। चीन के लिए मुश्किल यह है कि शी जिनपिंग नहीं चाहते कि वे कमजोर नजर आएं। अगर वे पहले बातचीत की पेशकश करते हैं, तो इसे उनकी कमजोरी समझा जा सकता है।
दूसरी ओर, ट्रंप को लगता है कि चीन आखिरकार झुक जाएगा। ट्रंप ने बुधवार को वाइट हाउस में एक कार्यक्रम में कहा, चीन सौदा करना चाहता है, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा कि कैसे शुरू करे। वे गर्व करने वाले लोग हैं। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों को टैरिफ से राहत दी है। 90 दिनों के लिए टैरिफ में उन्होंने ढील दी।
ट्रंप के इस ऐलान के बाद दुनिया भर के बाजारों में खुशी की लहर दौड़ गई। ट्रंप की टीम ने जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे देशों के साथ व्यापारिक सौदों पर बात शुरू कर दी है। लेकिन चीन ने अमेरिका से कोई बातचीत नहीं की है। जिस पर अब ट्रंप ने दबाव बढ़ाते हुए सभी सामानों पर टैरिफ 145 परसेंट कर दिया है। जवाब में उसने अमेरिकी फिल्मों पर रोक लगाई और टैरिफ 84 परसेंट बढ़ा दिया। दोनों देशों के बीच यह बड़े व्यापार युद्ध का संकेत है। कोई भी देश पीछे हटने को तैयार नहीं है।
दोनों देशों में छोटे स्तर पर कुछ बातचीत हो रही है, लेकिन बड़े नेताओं के बीच कोई संपर्क नहीं है। चीन ने अमेरिका के साथ बैक चैनल बातचीत करने की कोशिश की है। ठीक उसी तरह जैसे जो बाइडन प्रशासन के साथ हो रही थी। लेकिन ट्रंप की टीम ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी को बातचीत के लिए सही व्यक्ति नहीं माना। अमेरिका ने कुछ अन्य नाम सुझाए, पर चीन उन पर सहमत नहीं है। दोनों देशों के बीच विश्वास में कमी देखी जा रही है।
चीन ने अमेरिका को दबाव में लाने के लिए कई रास्ते तलाशे हैं। उसने टेस्ला के मालिक एलन मस्क जैसे कारोबारियों के जरिए ट्रंप तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली। चीन ने एक वक्त पर अमेरिकी कंपनियों जैसे ऐपल और स्टारबक्स पर पाबंदी लगाने का विचार भी किया, लेकिन बाद में इससे पीछे हट गया। उसे डर था कि इससे चीनी लोग नाराज हो सकते हैं, जो कम्युनिस्ट पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा।
चीन अब अमेरिका से कम खरीदारी करने की योजना बना रहा है। वह ब्राजील जैसे देशों से सोयाबीन और अन्य सामान खरीद सकता है। साथ ही, उसने कुछ दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर रोक लगा दी है, जो अमेरिकी उद्योगों के लिए जरूरी हैं।
अगर चीन और सख्त कदम उठाता है, जैसे अमेरिकी बॉन्ड बेचना या सभी दुर्लभ खनिजों पर रोक लगाना, तो यह जंग और खतरनाक हो सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस जंग में चीन के पास ज्यादा ताकत है। शी जिनपिंग ने अपने देश में मजबूत स्थिति बना रखी है और वह आर्थिक नुकसान झेलने को तैयार हैं।