"हॉटमेल के सह-संस्थापक सबीर भाटिया ने भारतीय इंजीनियरिंग सिस्टम पर उठाए सवाल, कहा- '99% इंजीनियर बन जाते हैं ज्ञानदाता'"

मुंबई, 9 अप्रैल 2025: हॉटमेल के सह-संस्थापक सबीर भाटिया ने हाल ही में भारतीय इंजीनियरिंग सिस्टम और शिक्षा व्यवस्था पर तीखी टिप्पणी की है। एक पॉडकास्ट में बोलते हुए भाटिया ने कहा कि भारत में 99% इंजीनियर वास्तविक इंजीनियरिंग कार्य नहीं करते, बल्कि वे प्रबंधन की भूमिकाओं में चले जाते हैं और "ज्ञान देने" में लग जाते हैं। उन्होंने भारत में नवाचार की कमी के लिए देश की "ट्रेडर मानसिकता" को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें लोग नया बनाने के बजाय पहले से हो चुके काम को दोहराने पर ध्यान देते हैं।

भाटिया ने भारत को एक नवाचार केंद्र बनने से रोकने वाली इस मानसिकता पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, "भारत में उन लोगों को सम्मान दिया जाता है जो बिजनेस की बात करते हैं, न कि उन लोगों को जो कोड लिखते हैं या सॉफ्टवेयर बनाते हैं।" उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को अपनी विशेषज्ञता का क्षेत्र चुनना होगा और रचनात्मकता पर ध्यान देना होगा। इसके साथ ही, उन्होंने भारतीय शिक्षा व्यवस्था की लागत पर भी सवाल उठाए। भाटिया ने बताया कि जहां चीन में शिक्षा को सब्सिडी दी जाती है और अधिक लोग इसे हासिल कर सकते हैं, वहीं भारत में यह अमीरों तक सीमित हो गई है, जिससे व्यापक स्तर पर प्रतिभा का विकास रुक रहा है।

यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत में तकनीकी शिक्षा और नवाचार को बढ़ावा देने की बात जोर-शोर से हो रही है। भाटिया की यह बात उन लाखों इंजीनियरिंग छात्रों और पेशेवरों के लिए एक चेतावनी है जो तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाने की उम्मीद रखते हैं। उनकी यह सलाह कि भारत को रचनात्मकता और मूल सॉफ्टवेयर निर्माण पर ध्यान देना चाहिए, न कि केवल आउटसोर्सिंग पर, देश के तकनीकी भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण हो सकती है।

सबीर भाटिया की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बनी हुई है। मुंबई की एक तस्वीर के साथ ट्विटर पर इस मुद्दे को उठाने वाले यूजर @schandrabxr ने लिखा, "💭 नवाचार की कमी का कारण हमारी ‘ट्रेडर माइंडसेट’ है — जो नया बनाए उससे ज़्यादा जो पहले हो चुका है वही दोहराते हैं।" इस पोस्ट ने कई लोगों का ध्यान खींचा है और भारतीय इंजीनियरिंग सिस्टम पर बहस को तेज कर दिया है।