सूरत : कपड़ा मशीनरी के आयात पर बीआईएस मानदंडों में राहत हेतु कपड़ा उद्योग का सरकार से तत्काल अनुरोध

बीआईएस नियमों के तत्काल क्रियान्वयन से हो रही चुनौतियों को रेखांकित किया, एक साल की संक्रमण अवधि और अंतरराष्ट्रीय मानकों की मान्यता की मांग

सूरत : कपड़ा मशीनरी के आयात पर बीआईएस मानदंडों में राहत हेतु कपड़ा उद्योग का सरकार से तत्काल अनुरोध

सूरत। भारत के कपड़ा उद्योग के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) के मानदंडों में तत्काल राहत देने का आग्रह किया है। भारत सरकार के कपड़ा समिति के अध्यक्ष भरत गांधी ने केन्द्रिय कपड़ा मंत्री गीरीराज सिंह को एक पत्र के माध्यम से बताया कि कपड़ा मशीनरी और कल-पुर्जों के आयात पर बीआईएस मानकों का कठोर और तत्काल अनुपालन उद्योग के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न कर रहा है।

 प्रतिनिधियों ने कहा कि यह नीति भले ही सकारात्मक इरादे से लाई गई हो, लेकिन इसका क्रियान्वयन कपड़ा उत्पादन, रोजगार, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और औद्योगिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

 फेडरेशन ऑफ इंडियन आर्ट सिल्क विविंग इंड्स्ट्री (फियास्वी ) अध्यक्ष तथा भारत सरकार के कपड़ा समिति के सदस्य भरत गांधी ने पत्र में रखी गई मुख्य चिंताएं इस प्रकार है।

कपड़ा उत्पादन में भारी गिरावट: बीआईएस प्रमाणीकरण प्रक्रिया के कारण मशीनरी के आयात में देरी हो रही है, जिससे उत्पादन प्रभावित हो रहा है। इससे उद्योग की उत्पादकता और प्रदर्शन पर सीधा असर पड़ रहा है।

एमएसएमई और बड़ी इकाइयों पर आर्थिक दबाव: विशेष रूप से छोटे और मध्यम स्तर के उद्योगों के पास बीआईएस से जुड़ी अतिरिक्त लागत को वहन करने की वित्तीय क्षमता नहीं है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति डगमगा रही है।

वैश्विक सहयोग में बाधा: अंतरराष्ट्रीय मशीन टूल निर्माता बीआईएस प्रमाणन की जटिलता और देरी के कारण भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी से पीछे हट रहे हैं, जिससे नई तकनीक का आयात रुक गया है।

रोजगार पर खतरा: कपड़ा उद्योग देश में सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है। मशीनरी की अनुपलब्धता के कारण उत्पादन बाधित हुआ है, जिससे हजारों श्रमिकों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति कमजोर: मशीनों की कमी और कठोर मानकों की वजह से भारत की कपड़ा उत्पादन क्षमता घट रही है, जिससे वह चीन, बांग्लादेश, वियतनाम जैसे देशों से पीछे रह सकता है।

उद्योगिक मेलों पर असर: बीआईएस नियमों में स्पष्टता न होने के कारण अहमदाबाद में प्रस्तावित कपड़ा एक्सपो (SITME 2025) को स्थगित करना पड़ा, जिससे नीति की तात्कालिकता और गंभीरता स्पष्ट होती है।

उद्योग की मांगें: बीआईएस नियमों के कार्यान्वयन के लिए एक साल की संक्रमण अवधि दी जाए ताकि उद्योग तैयार हो सके। अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों (जैसे CE, ISO) को बीआईएस के समकक्ष मान्यता दी जाए ताकि मशीनरी आयात सुगम हो सके। ऐसी मशीनरी और स्पेयर पार्ट्स के लिए विशेष छूट दी जाए, जिनके भारतीय विकल्प उपलब्ध नहीं हैं।

कपड़ा उद्योग के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह क्षेत्र भारत की आर्थिक प्रगति का एक प्रमुख स्तंभ है और लाखों लोगों को रोजगार, निर्यात और विकास में योगदान देता है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि इस उद्योग को प्रभावी समर्थन देकर इसके भविष्य को सुरक्षित किया जाए और नीति को लचीला बनाकर समय दिया जाए।