पुरानी कारों की बिक्री नई कारों को छोड़ सकती है पीछे
नई दिल्ली, 28 मार्च (वेब वार्ता)। देश का पुरानी कारों का बाजार पिछले दो से तीन साल के दौरान लगातार 10 से 12 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। साल 2025-26 में पुरानी कारों की बिक्री नई कारों को पीछे छोड़ सकती है। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि मांग बढ़ने से पुरानी कारों की बिक्री की औसत कीमत भी बढ़ रही है।
उम्मीद है कि वित्त वर्ष 26 में यह बढ़कर 40 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसका मतलब है कि संख्या के लिहाज से पुरानी कारों की बिक्री 65 लाख से 70 लाख तक होने की उम्मीद है। पुरानी कारों के प्रमुख प्लेटफॉर्म स्पिनी के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी नीरज सिंह ने यह जानकारी दी है।
फिलहाल नई कारों का घरेलू बाजार 43 अरब डॉलर के आसपास होने की उम्मीद है। इस वृद्धि से टायर, वित्त उपलब्ध कराने वाले जैसे अन्य क्षेत्रों में भी इजाफे को बढ़ावा मिलेगा। साल 2023-24 में नई कारों का बाजार 42 लाख गाड़ियों की ऐतिहासिक ऊंचाई तक पहुंच गया था और इस साल इसके सपाट रहने के आसार हैं। वित्त वर्ष 26 में नई कारों की बिक्री में एक से दो प्रतिशत तक की वृद्धि या लगभग 45 लाख से 46 लाख गाड़ियों तक पहुंचने की उम्मीद है।
इसके विपरीत बेंगलूरु, हैदराबाद और पुणे जैसे शहरों में पुरानी कारों के बाजार में दमदार वृद्धि देखी जा रही है, जहां हाल में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। नीरज सिंह का कहना है कि उन्हें अगले सात से आठ वर्षों के दौरान बाजार में 12 से 13 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) की अच्छी बढ़ोतरी नजर आ रही है।
सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘बाजारों के लिहाज से बेंगलूरु, हैदराबाद और पुणे में हाल में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। दामों के लिहाज से छह से आठ लाख रुपये के दायरे वाली कारों (खास तौर पर कॉम्पैक्ट एसयूवी) की मांग में सबसे अधिक उछाल आया है जो उनके प्रदर्शन, स्थान, उनकी कीमत और ‘बड़ी कार’ के आकर्षण जैसे कई कारणों पर निर्भर करता है।’
मांग के इस उत्साह से देश में पुरानी कारों की बिक्री के औसत मूल्य में भी इजाफा हुआ है। सिंह बताते हैं, ‘भारत में पुरानी कारों की बिक्री की औसत कीमत 4.5 लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये के बीच है, जो बढ़ रही है और पिछले दो से तीन साल के दौरान 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं।’
बजट कारों (तीन से पांच लाख रुपये के दायरे वाली) की कीमतों में 10 से 12 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। मिड-रेंज वाले वाहनों (पांच से 10 लाख रुपये के दायरे में) की कीमतों में 14 से 16 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। प्रीमियम और एसयूवी के मॉडल में सबसे तेज वृद्धि हुई है।