सूरत : डोनेट लाइफ संस्था द्वारा धुलेटी के दिन ब्रेन डेड व्यक्ति का अंगदान, पांच लोगों को मिला नया जीवन
ब्रेनडेड हार्दिक शेलत एक दिन पूर्व ही पिता बने थे, नही देख पाये बेटी का चेहरा
सूरत। रंगों के त्योहार धुलेटी के दिन डोनेट लाइफ संस्था ने आणंद के एक युवा ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान का कार्य संपन्न कर पांच लोगों को नया जीवन दिया। हार्दिक नविनचंद्र शेलत उम्र 40, जो आणंद शहर के यत्कृपा रेजीडेंसी में अपने परिवार के साथ रहते थे और 100 फीट रोड पर प्रोविजन स्टोर चलाते थे। 10 मार्च को सूबह की सैर के बाद बाथरूम में नहाते समय अचानक ब्रेन हेमरेज का शिकार हो गए। परिवार के सदस्य उन्हे आयरिश अस्पताल में ले गए। 13 मार्च को न्युरोसर्जन टीम ने हार्दिक को ब्रेन डेड घोषित किया गया।
आयरिश अस्पताल के चिकित्सकों ने डोनेट लाइफ संस्था के संस्थापक नीलेश मंडलेवाला और उनकी टीम का संपर्क किया। निलेश मांडलेवाला ने आणंद जिले में डोनेट लाईफ टीम के निखिल शास्त्री और निशिल पटेल (पप्पूभाई)को सूचित किया जो अस्पताल पहुंचकर हा ने हार्दिक के माता-पिता और पत्नी नीमा को अंगदान के महत्व और प्रक्रिया की जानकारी दी।
दुखद संयोग यह था कि हार्दिक अपनी नवजात बेटी का चेहरा तक नहीं देख पाए थे, क्योंकि उनकी पत्नी ने 12 मार्च को बेटी को जन्म दिया था। कानूनी तौर पर अंगदान के लिए हार्दिक की पत्नी नीमा की सहमति लेना जरूरी था। परिवार ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए अंगदान की स्वीकृति दी।
सोट्टो से समन्वय के बाद, हार्दिक के हृदय, फेफड़े, लीवर और दोनों किडनी को विभिन्न अस्पतालों में जरूरतमंद मरीजों को प्रत्यारोपण के लिए भेजा गया। हृदय - यू.एन. मेहता अस्पताल, अहमदाबाद, फेफड़े - के.एम.डी. अस्पताल, अहमदाबाद, लीवर - ज़ाइडस अस्पताल, अहमदाबाद , एक किडनी - अपोलो अस्पताल, अहमदाबाद, दूसरी किडनी - ज़ाइडस अस्पताल, वडोदरा को आवंटीत कि गई।
चरोतर विद्या मंडल के अध्यक्ष भीखूभाई पटेल और उपाध्यक्ष मनीषभाई पटेल ने ब्रेनडेड हार्दिक की नवजात बेटी की पूरी शिक्षा की जिम्मेदारी उठाने की घोषणा की।
यह आणंद स्थित आयरिश अस्पताल से किया गया पहला अंगदान था। डोनेट लाइफ ने सांसद मितेशभाई पटेल (बाकाभाई) के सहयोग से अस्पताल को ऑर्गन एंड टिशू रिट्रीवल अस्पताल (OTRH) के रूप में पंजीकृत कराने में मदद की।
डोनेट लाइफ के संस्थापक नीलेश मंडलेवाला के मार्गदर्शन में यह संपूर्ण अंगदान प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न हुई, जिससे नए जीवन की रोशनी पांच जरूरतमंदों तक पहुंचाई।