नये आयकर विधेयक के तहत सिर्फ छापों के दौरान डिजिटल, सोशल मीडिया खातों की जांच
नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) नए आयकर विधेयक के तहत कर अधिकारी सिर्फ छापों के दौरान ही डिजिटल क्षेत्र या कंप्यूटर उपकरण तक पहुंच हासिल कर सकेंगे।
आयकर विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इस प्रावधान का मकसद आम करदाताओं की ऑनलाइन गोपनीयता का उल्लंघन करना नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर किसी करदाता का मामला जांच के दायरे में आ जाए, तो भी उसकी गोपनीयता बरकरार रखी जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस तरह की शक्तियां 1961 के अधिनियम में ‘पहले से मौजूद’ थीं, और इन्हें केवल 2025 के आयकर विधेयक में दोहराया गया है।
अधिकारी ने कुछ मीडिया रिपोर्ट और विशेषज्ञों के इस दावे को खारिज किया कि कर अधिकारियों को करदाताओं के ईमेल, सोशल मीडिया हैंडल और क्लाउड स्टोरेज स्पेस सहित इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक पहुंच हासिल करने के अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी खबरें डर फैलाने के अलावा कुछ नहीं हैं। कर विभाग करदाता के सोशल मीडिया खाते या ऑनलाइन गतिविधियों की जासूसी नहीं करता है।’’
अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘इन अधिकारों का इस्तेमाल केवल तलाशी या छापेमारी अभियान के दौरान किया जाना चाहिए। छापों के दौरान भी ऐसा तब किया जाएगा, जब करदाता डिजिटल स्टोरेज ड्राइव, ईमेल, क्लाउड और व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे संचार मंचों के पासवर्ड साझा करने से इनकार करेगा।’’
आयकर विधेयक, 2025 इस समय संसद के समक्ष है।