सूरत : आगामी 14 मार्च तक रहेगा होलाष्टक, शुभ और मांगलिक कार्यों पर रहेगी रोक : आचार्य रामकुमार पाठक

नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की दी जाती है सलाह

सूरत : आगामी 14 मार्च तक रहेगा होलाष्टक, शुभ और मांगलिक कार्यों पर रहेगी रोक : आचार्य रामकुमार पाठक

हर वर्ष फाल्गुन सुदी पूर्णिमा को होली उत्सव मनाया जाता है और दूसरे दिन चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को धुलेटी यानी रंगउत्सव का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष 13 मार्च 2025 गुरुवार को सुबह से रात्रि 12.23 बजे तक पूर्णिमा है। भद्रा नक्षत्र होने के कारण इस वर्ष होलिका दहन शाम ढलने के बाद तुरंत नहीं होगा, परंतु देर रात्रि 11.26 के बाद ही हो सकेगा।

इस संदर्भ में शहर के वेसू स्थित विश्व जागृति मिशन संचालित बालाश्रम(अनाथाश्रम)के पर्यवेक्षक ज्योतिषाचार्य आचार्य रामकुमार पाठक ने बताया कि होलाष्टक 14 मार्च तक रहेगा। इस दौरान विवाह का मुहूर्त नहीं होता, इसलिए इन दिनों में विवाह जैसा मांगलिक कार्य संपन्न नहीं करना चाहिए। नए घर में प्रवेश भी इन दिनों में नहीं करना चाहिए। भूमि पूजन भी इन दिनों में न ही किया जाए तो बेहतर है। नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है। होलाष्टक के समय विशेष रूप से विवाह, वाहन खरीद, नए निर्माण व नए कार्यों को आरंभ नहीं करना चाहिए। होलाष्टक के दौरान अष्टमी तिथि को चन्द्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी तिथि पर शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी पर गुरु, त्रयोदशी तिथि पर बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा तिथि के दिन राहु उग्र स्थिति में रहते हैं। इसलिए शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।

उन्होंने बताया कि होलाष्टक शुक्रवार से शुरू हो गया है, जो 14 मार्च तक दोपहर 12:24 बजे तक रहेगा। धार्मिक दृष्टि से यह समय भक्ति, तपस्या और संयम का माना गया है। इस दौरान देवी-देवताओं की साधना, जप और व्रत करने से विशेष लाभ मिलता है। तांत्रिक दृष्टि से यह समय सिद्धियों और साधनाओं के लिए उपयुक्त माना जाता है, लेकिन शुभ कार्यों के लिए नहीं।

उल्लेखनीय है कि होली-धुलेटी पर्व की तैयारी जोर-जोर से शुरू हो गई है। बाजारों में विविध रंगों, पिचकारी 
की दुकान सज गई है। साथ ही लोगों में जागरुकता के कारण अब गाय के गोबर से बनाए जाने वाली उप्ले, स्टिक की होली जलाई जाती है और धुलेटी के दिन केसुडा सहित प्राकृतिक स्वास्थ्याप्रद रंगों से मात्र परिवारों एवं परिचितों में ही रंग खेलने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है।

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