सूरत : एसजीसीसीआई ने एमएसएमई ऋण और अन्य चुनौतियों की प्रस्तुति आरबीआई के समक्ष दी
काउंटर गारंटी प्रक्रिया में सुधार और जीएसटी घटक वित्तपोषण हेतु स्पष्ट दिशानिर्देशों की मांग
सूरत – दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष निखिल मद्रासी, सह-अध्यक्ष राजीव कपासियावाला और उप सचिव पॉलिक देसाई ने अहमदाबाद में आयोजित 29वीं स्थायी सलाहकार समिति की बैठक (3 मार्च, 2025) में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जानकीरमन के समक्ष एमएसएमई से जुड़े ऋण, ब्याज दरों, तथा अन्य वित्तीय चुनौतियों पर विस्तृत प्रस्तुति दी।
चैंबर ने यह रेखांकित किया कि छोटे और मध्यम उद्यमी, जो क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) के अंतर्गत ऋण के लिए आवेदन करते हैं, उन्हें बैंक द्वारा प्रोविजनल बैलेंस शीट के प्रमाणन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, कई बैंक जीएसटी घटक का वित्तपोषण नहीं कर रहे हैं, जिससे खरीददारों पर 43% तक का बोझ पड़ता है।
इसके अतिरिक्त, चैंबर ने सुझाव दिया कि निजी बैंक या पीएसयू में अधिग्रहण के मामले में काउंटर गारंटी प्रदान करने की प्रक्रिया में होने वाली देरी को दूर करने हेतु एक मानकीकृत प्रारूप जारी किया जाए, जिसे सभी बैंकों द्वारा स्वीकार किया जा सके।
आरबीआई की क्लस्टर परिभाषा में सुधार की भी मांग उठाई गई है, क्योंकि सूरत केवल एक कपड़ा क्लस्टर नहीं है, बल्कि यहां बुनाई, कताई, धागा रंगाई, छपाई, टेक्सचरिंग, हीरे, आभूषण और रसायन जैसे विभिन्न क्षेत्रों के मिनी क्लस्टर भी शामिल हैं, जिन्हें केंद्रीय क्लस्टर विकास योजना के अंतर्गत जोड़ा जाना चाहिए।
चैंबर ने पिछले साल बढ़ी मुद्रा योजना सीमा (10 लाख से 20 लाख) के बावजूद बैंकों द्वारा इसका पालन न होने पर भी आरबीआई के डिप्टी गवर्नर का ध्यान आकर्षित किया। बैठक में प्रस्तुतियों के आधार पर आरबीआई ने लघु एवं मध्यम उद्यमियों के समक्ष आ रही विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
इस विस्तृत प्रस्तुति के माध्यम से सूरत के उद्योगपतियों ने आशा जताई कि जल्द ही आरबीआई से आवश्यक दिशानिर्देश जारी होंगे, जिससे एमएसएमई ऋण प्रक्रिया में सुधार होगा और उद्यमियों को वित्तीय सहायता में आसानी होगी।