आश्चर्य है कि जल महल झील को नुकसान पहुंचा कर जयपुर ‘स्मार्ट’ कैसे बन सकता है : न्यायालय

आश्चर्य है कि जल महल झील को नुकसान पहुंचा कर जयपुर ‘स्मार्ट’ कैसे बन सकता है : न्यायालय

नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को जल महल झील को नुकसान पहुंचाने और आसपास के क्षेत्र में रात्रि बाजार लगाने की अनुमति देकर इसके पानी को दूषित करने के लिए नगर निगम जयपुर हैरिटेज को फटकार लगाई।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि नगर निगम जयपुर हैरिटेज की ‘‘लापरवाही और अवैध कृत्यों’’ के कारण जल महल झील ‘‘पूरी तरह से नष्ट हो गई।’’

पीठ ने कहा, ‘‘आज, हमने देखा कि ऑनलाइन माध्यम से पेश हुए नगर निगम आयुक्त के पीछे ‘स्मार्ट सिटी’ का बोर्ड लगा है। हमें आश्चर्य है कि जल महल झील को लगभग नष्ट करके जयपुर शहर ‘स्मार्ट’ कैसे बन जाएगा। हम पाते हैं कि झील के जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त नहीं की गई है।’’

अदालत ने जयपुर नगर निगम को प्रदूषण को रोकने और झील के जीर्णोद्धार एवं संरक्षण के लिए तत्काल उपायों के संबंध में एक व्यापक रिपोर्ट देने के वास्ते राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान को नियुक्त करने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत नगर निगम जयपुर हैरिटेज द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के तीन नवंबर, 2023 के आदेश को चुनौती दी गई थी।

एनजीटी ने इस आदेश में झील के पास रात्रि बाजार और अन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जबकि निगम को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) निगरानी समिति से अनुमति लेने का निर्देश दिया गया था।

एनजीटी का यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता राजेंद्र तिवारी द्वारा रात्रि बाजार और झील में अनुपचारित पानी छोड़े जाने के खिलाफ दायर याचिका पर आया था।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नगर निगम मुख्यालय समय-समय पर झील में सीवर का पानी छोड़ता है। इसने निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के एक हलफनामे पर भी गौर किया, जिसमें उन्होंने पर्यटन विभाग की एक परियोजना रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि परियोजना का झील के जीर्णोद्धार और संरक्षण से कोई लेना-देना नहीं है।