सेबी प्रमुख : तीन साल बाद नौकरशाह बने बाजार नियामक के प्रमुख
नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) अनुभवी नौकरशाह और नियमों के पक्के वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय तीन साल के लिए पूंजी बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रमुख होंगे।
पांडेय 1987 बैच के ओडिशा कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं। वह माधबी पुरी बुच की जगह लेंगे, जिनका तीन साल का कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो रहा है।
बुच सेबी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला और निजी क्षेत्र से चुनी गईं पहली सेबी चेयरपर्सन भी हैं।
सेबी प्रमुख का पद ज्यादातर अनुभवी नौकरशाहों के पास रहा है। यह हालिया महीनों में किसी नियामक संस्था के शीर्ष पर नौकरशाह की दूसरी नियुक्ति है। दिसंबर 2024 में सरकार ने शक्तिकान्त दास की सेवानिवृत्ति के बाद राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का गवर्नर नियुक्त किया था।
बुच ने अपने कार्यकाल में इक्विटी के तेजी से निपटान, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) खुलासे में वृद्धि तथा म्यूचुअल फंड पैठ बढ़ाने जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की, लेकिन उनके कार्यकाल के अंतिम वर्ष में काफी विवाद हुआ जब सेबी के कर्मचारियों ने ‘‘कामकाज के गलत तरीकों’’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। साथ ही अमेरिका की शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग तथा विपक्षी दल कांग्रेस ने भी उनपर कई आरोप लगाए थे।
इस पृष्ठभूमि में, सरकार ने एक अनुभवी नौकरशाह पांडेय को नियामक निकाय का प्रमुख चुना, जिनके पास सरकार के विनिवेश व निजीकरण कार्यक्रमों को संभालने का व्यापक अनुभव है।
मृदुभाषी पांडेय नियम पुस्तिका का पालन करने और काम पूरा करने के लिए पहचाने जाते हैं।
दीपम (डीआईपीएएम) सचिव के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान ही एयर इंडिया का निजीकरण किया गया था, जबकि ऐसा करने के कई प्रयास पहले असफल रहे थे। पांडेय ने आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की योजनाओं की भी देखरेख की।
पांडेय सेबी के प्रमुख का पद ऐसे समय संभालेंगे जब विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निकासी के बाद बाजार में मंदी का दबाव देखने को मिल रहा है। जनवरी से अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है।
पांडेय निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सचिव हैं। दीपम वित्त मंत्रालय का एक विभाग है जो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में सरकारी इक्विटी और सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) का भी प्रबंधन करता है।
उन्होंने नौ जनवरी को राजस्व विभाग का कार्यभार संभाला था, जब उनके पूर्ववर्ती संजय मल्होत्रा भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर बन गए थे। पांडेय ने 2025-26 के बजट को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई, जिसमें मध्यम वर्ग को कुल एक लाख करोड़ रुपये की कर राहत दी गई। वे नए आयकर विधेयक के मसौदे को तैयार करने में भी शामिल थे, जो 64 साल पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा।
दीपम में अपने पांच साल से अधिक के कार्यकाल (24 अक्टूबर 2019 से आठ जनवरी 2025) में पांडेय ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) के विनिवेश को आगे बढ़ाया क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसई) संबंधी नीति को लागू किया, जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में पीएसई में सरकार की उपस्थिति को कम करना था।
पांडेय ने पंजाब विश्वविद्यालय (चंडीगढ़) से अर्थशास्त्र में एमए और बर्मिंघम विश्वविद्यालय (ब्रिटेन) से एमबीए किया है। उन्होंने ओडिशा सरकार और केंद्र सरकार में विभिन्न पदों पर काम किया है।
अपने करियर के शुरुआती दौर में पांडेय ने स्वास्थ्य, सामान्य प्रशासन, वाणिज्यिक कर, परिवहन व वित्त विभागों में प्रशासनिक प्रमुख के रूप में काम किया।
उन्होंने ओडिशा राज्य वित्त निगम के कार्यकारी निदेशक और ओडिशा लघु उद्योग निगम के प्रबंध निदेशक के रूप में भी काम किया।
केंद्र में उन्होंने योजना आयोग (अब नीति आयोग) में संयुक्त सचिव, कैबिनेट सचिवालय में संयुक्त सचिव और वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के पद पर सेवाएं दी हैं।