साल में दो बार 10वीं की परीक्षा कराने के कदम का छात्रों ने स्वागत किया
नयी दिल्ली, 27 फरवरी (भाषा) सीबीएसई द्वारा 10वीं कक्षा की 2026 से वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के मसौदा मानदंडों को मंजूरी दिए जाने के बाद छात्रों और स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे सुधार के कई अवसर मिलेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 2026 से वर्ष में दो बार 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के मसौदा मानदंडों को मंगलवार को मंजूरी दे दी।
उन्होंने कहा कि इन मसौदा मानदंडों को अब सार्वजनिक किया जाएगा और हितधारक नौ मार्च तक अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं, जिसके बाद नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा।
मसौदा मानदंडों के अनुसार, परीक्षा का पहला चरण 17 फरवरी से छह मार्च तक आयोजित किया जाएगा, जबकि दूसरा चरण पांच से 20 मई तक आयोजित किया जाएगा।
द्वारका के आईटीएल इंटरनेशनल स्कूल की प्रधानाचार्य सुधा आचार्य ने कहा, ‘‘दो बार परीक्षा करने का यह प्रारूप छात्र-छात्राओं के अनुकूल है क्योंकि इसमें कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिससे परीक्षा का दबाव कम होता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र पहली परीक्षा में मानक गणित लेता है और उसे यह कठिन लगता है, तो वह दूसरे प्रयास में बुनियादी गणित का विकल्प चुन सकता है और अधिक आसानी से उत्तीर्ण हो सकता है।”
उन्होंने कहा कि पहले छात्रों को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए केवल एक ही मौका मिलता था, लेकिन अब दबाव कम हो जाएगा।
आईटीएल स्कूल के आठवीं कक्षा के एक छात्र ने ‘पीटीआई वीडियो’ को बताया, ‘‘चूंकि दोनों परीक्षाओं के सर्वश्रेष्ठ अंकों पर विचार किया जाएगा, इसलिए हम अपनी रणनीति बना सकते हैं। मैं पहली परीक्षा में गणित, अंग्रेजी और विज्ञान पर और अगली परीक्षा में अन्य विषयों पर ध्यान केंद्रित कर सकता हूं।’’
नौवीं कक्षा के एक छात्र ने कहा, ‘‘यह प्रणाली हमें अधिक अवसर प्रदान करती है। यदि मैं पहले प्रयास में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता हूं तो मैं अगली परीक्षा में पुनः प्रयास कर सकता हूं।’’
हालांकि, मयूर विहार स्थित विद्या बाल भवन स्कूल के प्रधानाचार्य एसवी शर्मा ने बताया कि नई प्रणाली से छात्रों का तनाव तो कम होगा, लेकिन इससे शिक्षकों पर काम का बोझ बढ़ सकता है।
शर्मा ने बताया, ‘‘शिक्षकों को फरवरी में बोर्ड की कॉपियों का मूल्यांकन करना होगा, मार्च में निचली कक्षाओं के लिए वार्षिक परीक्षा आयोजित करनी होगी और उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करनी होगी तथा फिर मई में दूसरी बोर्ड परीक्षा की देखरेख करनी होगी।’’
उन्होंने कहा कि इससे शिक्षकों पर काम का दबाव बढ़ सकता है और उनकी ग्रीष्मकालीन छुट्टियां कम हो सकती हैं।