सूरत : नगर निगम मुख्यालय में कर्मचारी समूह द्वारा लंबित मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन
दोपहर बाद वर्ग चार और तीन के हजारों कर्मचारी मास सीएल पर चले गए
सूरत : सूरत नगर निगम के कर्मचारी यूनियनो का लंबे समय से उनके लंबित मुद्दों का कोई समाधान नहीं हुआ है। इसलिए 19 यूनियनों से जुडे कर्मचारीओं ने सोमवार को एक बड़ी रैली निकाली और नगर निगम मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। युनियन अग्रणियों ने कहा कि यदि अधिकारी नियमों को लागू करने में असमर्थ हैं तो शासकों को भी इस्तीफा दे देना चाहिए। बड़ी संख्या में नगर निगम कर्मचारी मास सीएल में चले गए थे। जिसके कारण विभिन्न जोनों में सामान्य परिचालन बाधित हुआ।
सोमवार को सूरत नगर निगम में कार्यरत 19 कर्मचारी समूह विभिन्न लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सूरत नगर निगम के मुगलीसरा मुख्यालय में एकत्रित हुए। जिसमें उन्होंने उपायुक्त आर.बी.भोगायता को राज्य सरकार में वापस करने तथा सहायक आयुक्त अजय भट्ट और केंद्रीय एजेंसी के उप अधिकारी डॉ. ए.पी. भट्ट का स्थानांतरण करने की मांग की।
इसके अलावा उन्होंने यह भी मांग की है कि शहर में दुर्घटना होने पर तत्काल प्रभाव से कर्मचारियों को निलंबित करने की व्यवस्था बंद की जाए तथा निलंबित कर्मचारियों को पुनः बहाल किया जाए। इसके अलावा स्वास्थ्य प्रशासन, तकनीकी व अन्य संवर्गों में बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं, तथा पदोन्नति के माध्यम से रिक्तियों को भरा जा रहा है।
नगर निगम की सीमा का विस्तार किया जा रहा है, लेकिन अतिरिक्त पदो को मंजूरी नहीं दी जा रही है। इसलिए कर्मचारियों पर काम का बोझ कम करने, तीन वर्षीय प्रशिक्षुओं को स्थायी करने, पिछले साल मृत 39 कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी देने तथा पिछले साल निलंबित किए गए सभी 25 कर्मचारियों को बहाल करने की मांग की गई है। सभी कर्मचारी नगर निगम आयुक्त कार्यालय के बाहर एकत्र हुए और उनके खिलाफ नारेबाजी की।
सूरत नगर निगम कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष इकबाल शेख ने कहा कि विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निगम में वर्ग तीन व चार के लिए जो नौकरियां दी जाती थीं, उन्हें बंद कर दिया गया है। निगम में काम करने वाले व्यक्ति का परिवार उस पर आश्रित होता है, इसलिए जब उसका निधन हो जाए तो उसके स्थान पर उसके परिवार के किसी आश्रित को नौकरी दी जानी चाहिए, जिसे नगर निगम ने बंद कर दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक बोझ डाला जा रहा है। नए क्षेत्रों को शामिल करने के बाद भी हजारों कर्मचारियों की कमी बनी हुई है, लेकिन उनकी भर्ती नहीं की जा रही है। ऐसे में कर्मचारियों की हालत भी दयनीय होती जा रही है। अधिकारी निगम के प्रस्ताव को लागू नहीं कर रहे हैं। दूसरी ओर, सत्ताधारी भी ऐसी भूमिका निभा रहे हैं, जैसे उन्हें कर्मचारियों के भविष्य की कोई चिंता ही नहीं है।
हमारी स्पष्ट मांग है कि यदि अधिकारी नियमानुसार काम नहीं कर रहे हैं तो शासक उनसे नियमानुसार काम करवाएं और यदि वे ऐसा करने में असमर्थ हैं तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। हम लंबे समय से इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल रहा है।