गुजरात में बौद्ध सर्किट के लिए 12 स्थलों को विकसित करने का काम जारी है: पर्यटन मंत्री

गुजरात में बौद्ध सर्किट के लिए 12 स्थलों को विकसित करने का काम जारी है: पर्यटन मंत्री

गांधीनगर, 23 फरवरी (भाषा) गुजरात सरकार केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य में बौद्ध सर्किट विकसित कर रही है और 12 स्थलों पर पर्यटक सुविधाओं पर काम पूरा हो चुका है। राज्य के मंत्री मुलु बेरा ने रविवार को यह जानकारी दी।

राज्य के पर्यटन मंत्री ने कहा कि अरावली जिले में देव नी मोरी नामक स्थान के विकास के लिए कार्य चल रहा है, जहां एक स्तूप के उत्खनन के दौरान बुद्ध के अवशेषों से युक्त एक उत्कीर्ण मंजूषा प्रकाश में आई थी।

उन्होंने राज्य पर्यटन विभाग के सहयोग से संघकाय फाउंडेशन द्वारा आयोजित बौद्ध विरासत पर छठे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘गुजरात सरकार स्वदर्शन योजना के तहत केंद्र सरकार की मदद से बौद्ध सर्किट विकसित कर रही है। इस योजना के तहत 12 ऐसे स्थानों पर पर्यटक सुविधाएं विकसित की गई हैं।’’

बेरा ने कहा कि राज्य ने देव नी मोरी के विकास के लिए केंद्र सरकार को 653 करोड़ रुपये की संशोधित परियोजना सौंपी है, जहां बौद्ध अवशेष खोजे गए थे और वडोदरा में एमएस विश्वविद्यालय में संरक्षित किए गए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘इन 12 स्थलों के लिए विभिन्न कार्य किए गए हैं तथा काफी कार्य प्रगति पर है। हमने इन स्थलों के विकास के लिए भूमि सुरक्षित करने के लिए सात जिलों (जहां ये स्थल स्थित हैं) के कलेक्टर को पत्र लिखा है।’’

बेरा ने कहा कि इन परियोजनाओं में सबसे बड़ी देव नी मोरी की लागत शुरू में 1,002 करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी, लेकिन इसकी लागत को संशोधित कर 653 करोड़ रुपये कर दिया गया है और केंद्र की योजना के तहत इसके विकास के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए 206 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसमें से 28 हेक्टेयर भूमि पर्यटन विभाग के पास उपलब्ध है।’’

मंत्री ने कहा कि केंद्र का संस्कृति मंत्रालय बौद्ध सर्किट परियोजना की समीक्षा कर रहा है और हाल में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक हुई थी।

उन्होंने कहा कि केंद्र ने जून 2017 में सर्किट के लिए 36 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। मंत्री ने कहा कि वास्तुकार की नियुक्ति हो चुकी है तथा भूमि अधिग्रहण और अन्य संबंधित कार्य पूरे किए जा रहे हैं।