भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर विभिन्न विभागों के साथ बातचीत शुरू करेगा वाणिज्य मंत्रालय
नयी दिल्ली, 20 फरवरी (भाषा) भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए बातचीत शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में वाणिज्य मंत्रालय जल्द ही भारत-अमेरिका के व्यापारिक पहलुओं और संबंधित घटनाक्रमों पर विभिन्न विभागों के साथ बातचीत शुरू करेगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने का एक अवसर है।
सूत्र ने कहा, “हम विभिन्न मंत्रालयों से मिलेंगे, हम उन्हें इस बारे में संवेदनशील बना रहे हैं। हमें उनके मुद्दों को समझना होगा क्योंकि अगर हमें द्विपक्षीय व्यापार समझौता करना है, तो सभी मंत्रालयों को एक ही राह पर होना होगा। हम जवाबी शुल्क और भारत-अमेरिका व्यापार पहलुओं के बारे में बात करेंगे।”
उन्होंने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय आने वाले हफ्तों में तीन से चार मंत्रालयों के विभिन्न विभागों से बात करेगा।
प्रस्तावित व्यापार समझौतों पर मंत्रालय सभी संबंधित मंत्रालयों की राय लेता है।
अमेरिका में व्यापार टीम के कार्यभार संभालने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार से जुड़े मामलों पर बातचीत शुरू हो जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान, भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने तथा 2025 तक पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण पर बातचीत करने की अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की।
प्रस्तावित समझौते की प्रकृति के बारे में पूछे जाने पर एक सूत्र ने कहा कि द्विपक्षीय बैठकों के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सभी विभागों तक पहुंचने का विचार उन्हें अमेरिकी परिपत्रों के बारे में सूचित करना है, ‘बीटीए में क्या होगा? जवाबी शुल्क का क्या अर्थ है? हम जो भी समझौता करते हैं, उसमें सभी मंत्रालयों को भी शामिल करते हैं।”
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में कहा था कि दोनों देश रियायतें और शुल्क में कटौती की पेशकश कर सकते हैं, क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे की पूरक हैं।
आमतौर पर मुक्त व्यापार समझौते में, दो व्यापारिक साझेदार अपने बीच व्यापार की अधिकतम संख्या पर सीमा शुल्क को या तो समाप्त कर देते हैं या काफी कम कर देते हैं। इसके अलावा, वे सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को आसान बनाते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान, दोनों देशों ने एक छोटे व्यापार समझौते पर चर्चा की थी, लेकिन जो बाइडन प्रशासन ने इसे टाल दिया था क्योंकि वे इस तरह के समझौतों के पक्ष में नहीं थे।