बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों से गांवों का ‘स्वैच्छिक’ स्थानांतरण कराना एक ‘प्राथमिकता’ : केंद्र
नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) एनटीसीए ने कहा है कि वन्यजीव संरक्षण में मदद और वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों से गांवों का स्वैच्छिक स्थानांतरण “प्राथमिकता” के आधार पर किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की एक बैठक के दौरान, कुछ सदस्यों ने यह भी कहा कि मौजूदा स्वैच्छिक ग्राम पुनर्वास पैकेज मुख्य और महत्वपूर्ण बाघ आवासों में रहने वाले सभी समुदायों के लिए आकर्षक नहीं हो सकता और इसे संशोधित किया जाना चाहिए।
एनटीसीए की हालिया बैठक के विवरण के अनुसार, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि बफर और कॉरिडोर क्षेत्रों में कटौती की रणनीतियों के जरिए हरित विकास हासिल किया जाना चाहिए, जबकि बाघ प्रबंधन सिद्धांतों के अनुसार मुख्य व महत्वपूर्ण बाघ आवासों से कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।
एनटीसीए के अध्यक्ष यादव ने जोर देकर कहा कि बाघ अभयारण्य के मुख्य या महत्वपूर्ण क्षेत्रों से गांवों के स्वैच्छिक स्थानांतरण को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना चाहिए, ताकि बाघ संरक्षण व समावेशी विकास के लिए दोनों पक्षों को लाभ पहुंचे। और वन क्षेत्रों के अंदर रहने वाले लोगों को मुख्यधारा में लाया जा सके।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वैच्छिक स्थानांतरण करते समय वनवासियों की आवश्यकताओं पर विचार किया जाना चाहिए।
पिछले वर्ष, भारत के बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदायों के लोगों ने एनटीसीए द्वारा वन अधिकारियों को दिए गए निर्देश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। एनटीसीए ने 54 बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों के 591 गांवों के 64,801 परिवारों के पुनर्वास में तेजी लाने के निर्देश दिए गए थे।